Loading election data...

झारखंड व कर्नाटक के आपराधिक विधेयकों को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दी मंजूरी

राष्ट्रपति ने कर्नाटक और झारखंड के दो कानूनों को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत आपराधिक मामलों में साक्ष्य की ऑडियो एवं वीडियो रिकॉर्डिंग की अनुमति होगी. अदालतों के लिए फरार आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने और उनकी अनुपस्थिति में उन्हें दंड देने का मार्ग प्रशस्त होगा. यह जानकारी अधिकारियों ने दी.

By Prabhat Khabar News Desk | August 25, 2022 12:19 PM

Jharkhand News: राष्ट्रपति ने कर्नाटक और झारखंड के दो कानूनों को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत आपराधिक मामलों में साक्ष्य की ऑडियो एवं वीडियो रिकॉर्डिंग की अनुमति होगी. अदालतों के लिए फरार आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने और उनकी अनुपस्थिति में उन्हें दंड देने का मार्ग प्रशस्त होगा. यह जानकारी अधिकारियों ने दी.

क्या है आपराधिक विधेयकों में

आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता (झारखंड संशोधन) विधेयक, 2020 अदालतों को फरार आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने और उनकी अनुपस्थिति में उन्हें दंड देने की अनुमति देता है. आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता (कर्नाटक संशोधन) विधेयक, 2021 के तहत आरोपियों और उसके वकीलों की उपस्थिति में ऑडियो और वीडियो के माध्यम से साक्ष्य दर्ज करने की अनुमति होगी.

Also Read: झारखंड के नेतरहाट आवासीय विद्यालय प्रवेश परीक्षा में सफल चार विद्यार्थी निकले फर्जी

एक ही ट्रायल में होगा फैसला

राज्य के पूर्व महाधिवक्ता व झारखंड हाइकोर्ट के वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार ने राष्ट्रपति द्वारा आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता विधेयक, 2020 को मंजूरी देने पर कहा कि अब किसी भी आपराधिक मामले में आरोपी फरार रहें या उपस्थित, अदालत एक ही ट्रायल में पूरे मामले का निष्पादन कर सकेगी. अपना फैसला सुना सकेगी. अब अदालत को फरार आरोपी के मामले को अलग करने की जरूरत नहीं पड़ेगी. अब अदालतों का भी समय बचेगा तथा तकनीकी कठिनाइयों का सामना भी नहीं करना पड़ेगा. इसके अलावा संबंधित मामले के गवाहों की परेशानी भी कम हो जायेगी.

अब तक क्या होता था

वर्तमान में लागू कानून के अनुसार किसी आपराधिक मामले में यदि कोई आरोपी फरार है अथवा भगोड़ा घोषित है, तो उसके मामले को संबंधित अदालत द्वारा अलग कर दिया जाता था. जो आरोपी उपस्थित रहते थे, उनके मामले में अदालत ट्रायल चलाती है. सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुनाती थी. जब फरार या भगोड़ा घोषित आरोपी पकड़ा जाता था अथवा उसके द्वारा सरेंडर किया जाता था, तो उसके मामले में अदालत ट्रायल शुरू करती थी.

Next Article

Exit mobile version