Emergency in India: आपातकाल में डालटेनगंज जेल के कैदी खाते थे खीर-पूरी, बढ़ जाती थी फिनाइल की डिमांड
Emergency in India: आपातकाल में पलामू के डालटेनगंज जेल में कैदी खाते जब भी खीर-पूरी खाते थे, जेल में फिनाइल की डिमांड बढ़ जाती थी. वजह जानकर रह जाएंगे दंग.
Emergency in India: प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 को इमरजेंसी (आपातकाल) लगाया था. इमरजेंसी के 50वें वर्ष में भी लोग इसे नहीं भूले हैं. विरोधी दल के नेताओं को जेल में डाल दिया गया था. लोगों के नागरिक अधिकार छीन लिए गए थे. गिरफ्तारी से जो लोग बच गए, वे छिपते-छिपाते आंदोलन करते रहे. लेकिन, कुछ लोग जेल में भी खीर-पूरी खाते थे. इसकी वजह से फिनाइल की डिमांड बढ़ जाती थी.
इमरजेंसी में डालटेनगंज से कोई नहीं जाना चाहता था हजारीबाग जेल
सुनने में यह बात अजीब लग सकती है, लेकिन है यह सोलह आने सच. जी हां, तब झारखंड अलग राज्य नहीं बना था. अविभाजित बिहार था. बिहार के जेलों में भी बड़ी संख्या में लोग बंद थे. तब पलामू जिला बिहार का हिस्सा हुआ करता था. यहां के डालटेनगंज जेल में कई नेता बंद थे. कई बार खबर आई कि इस जेल में बंद कैदियों को जल्दी ही हजारीबाग सेंट्रल जेल शिफ्ट कर दिया जाएगा. लेकिन, यहां सजा काट रहे लोग किसी अन्य जेल में जाने के लिए तैयार नहीं थे.
कैदियों की इच्छा से जेल में खीर-पूरी बनवाते थे जेलर
इसकी बड़ी वजह थी, डालटेनगंज (पलामू) जेल के जेलर की सहृदयता. आंदोलनकारियों के प्रति वह बहुत सहानुभूति रखते थे. जब भी कैदियों को अच्छा भोजन करने का मन करता था, जेलर उनके लिए खीर-पूरी का इंतजाम करवाते थे. झारखंड विधानसभा के पूर्व स्पीकर इंदर सिंह नामधारी ने कई बार पत्रकारों को यह किस्सा सुनाया.
इंदर सिंह नामधारी सुनाते हैं बीएल दास की सहृदयता के किस्से
जमशेदपुर में आपातकाल दिवस पर एक संगोष्ठी में भी इंदर सिंह नामधारी ने डालटेनगंज के जेलर बीएल दास की सहृदयता और कैदियों के प्रति उनके मृदु व्यवहार का वाकया सुनाया था. उन्होंने कहा था कि जब भी हमें खीर-पूरी खाने की इच्छा होती थी, हमलोग जेलर बीएल दास से आग्रह करते थे. वह जेल में हमारे लिए खीर-पूरी बनवा देते थे.
फिनाइल की डिमांड बढ़ाकर कैदियों को खिलाते थे खीर-पुड़ी
इंदर सिंह नामधारी कहते हैं कि एक बार उन्होंने जेलर साहब से पूछा कि जब भी हम आपसे कहते हैं, आप हमारे लिए खीर-पूरी का इंतजाम कर देते हैं. इसके पैसे का इंतजाम आप कहां से करते हैं. क्या सरकार आपको इसके लिए पैसे देती है. तब बीएल दास ने उनको बताया था कि जेल की सफाई के लिए हमलोग फिनाइल मंगवाते हैं. जब भी आपलोगों को खीर-पूरी खाने की इच्छा होती है, हम फिनाइल की डिमांड बढ़ा देते हैं. उसी पैसे से आपलोगों के लिए खीर-पूरी बनवाते हैं.