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Ranchi News : रांची विवि में 2018 से अब तक 981 विद्यार्थियों ने ली पीएचडी डिग्री, निजी विवि नहीं दे रहे डाटा

Ranchi News :राजभवन के सख्त निर्देश के बाद राज्य के सरकारी विवि में पीएचडी डिग्री पर इस वर्ष से अंकुश लगा है, जबकि प्राइवेट विवि में धड़ल्ले से पीएचडी डिग्री दी जा रही है.

रांची. राजभवन के सख्त निर्देश के बाद राज्य के सरकारी विवि में पीएचडी डिग्री पर इस वर्ष से अंकुश लगा है, जबकि प्राइवेट विवि में धड़ल्ले से पीएचडी डिग्री दी जा रही है. इतना ही नहीं. कई प्राइवेट विवि ऐसे हैं, जो पीएचडी डिग्री का वर्षवार डाटा तक देने में भी आनाकानी कर रहे हैं. आंकड़ों पर गौर करें, तो रांची विवि में ही वर्ष 2018 से जुलाई 2024 तक कुल 981 विद्यार्थियों ने पीएचडी डिग्री ली है. सबसे ज्यादा वर्ष 2022 में 216 विद्यार्थियों ने पीएचडी डिग्री ली. विभावि की बात करें, तो यहां दो वर्ष में ही 143 विद्यार्थियों ने डिग्री हासिल की है. विनोद बिहारी महतो कोयलांचल विवि में पिछले दो वर्ष में एक भी विद्यार्थियों को पीएचडी की डिग्री नहीं मिली है.

किस विवि ने कितनी पीएचडी डिग्री प्रदान की

रांची विवि में वर्ष 2018 में 116 विद्यार्थियों ने डिग्री ली, जबकि 2019 में 128 विद्यार्थी, 2020 में 126 , 2021 में 186, 2022 में 216 और 2023 में 164 विद्यार्थियों ने पीएचडी डिग्री ली. विभावि में वर्ष 2022 में 70 तथा वर्ष 2023 में 73 विद्यार्थियों ने डिग्री ली. वर्ष 2022 में साइंस में 15 व वर्ष 2023 में 11 विद्यार्थियों को पीएचडी डिग्री मिली है. वहीं क्रमश: कॉमर्स में 12 तथा 16, सामाजिक विज्ञान में 23 तथा 20, मानविकी संकाय में 18 तथा 25 और इंजीनियरिंग में वर्ष 2022 में दो तथा वर्ष 2023 में एक विद्यार्थी ने पीएचडी डिग्री ली. नीलांबर-पीतांबर विवि में वर्ष 2022 में 13 विद्यार्थियों ने पीएचडी की डिग्री ली, जबकि कोल्हान विवि में वर्ष 2022 में सिर्फ 15 विद्यार्थियों ने पीएचडी डिग्री ली. इस विवि में वर्ष 2009 से 2016 तक कुल 42 विद्यार्थियों ने पीएचडी डिग्री ली थी, लेकिन उस समय इसमें विवाद उत्पन्न हो गया था. हालांकि बाद में जांच के बाद सारी डिग्री सही पायी गयी.

रांची विवि में अब कई प्रक्रिया से गुजरते हैं विद्यार्थी

राजभवन द्वारा मॉनिटरिंग करने तथा वर्ष 2024 में कुलपति डॉ अजीत कुमार सिन्हा द्वारा पीएचडी डिग्री को लेकर बरती गयी कड़ाई के बाद जुलाई 2024 तक मात्र 45 विद्याथी ही डिग्री हासिल कर सके हैं. हालांकि कई विद्यार्थियों का रिजल्ट जारी करने की प्रक्रिया में है. रांची विवि सहित अन्य विवि में पीएचडी के लिए सबसे पहले प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण होना आवश्यक कर दिया गया है. अब पीएचडी रजिस्ट्रेशन के समय ही सिनोप्सिस को शोध गंगोत्री में अपलोड करना आवश्यक है. इससे यह पता लगाया जाता है कि विद्यार्थी जिस टॉपिक पर शोध करने जा रहा है, उस टॉपिक पर पहले तो शोध नहीं हो गया है. यहां से स्वीकृति मिलने के बाद ही विद्यार्थी के पीएचडी रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया आगे बढ़ती है. इसके बाद पीएचडी के लिए फाइनल थिसिस जमा करने से पूर्व भी इसकी जांच की जाती है कि कहीं किसी अन्य थिसिस से नकल तो नहीं की गयी है. इसके लिए थिसिस को प्लेगिरिज्म टेस्ट से गुजरना होता है. इसके लिए यूजीसी ने उरकुंड सॉफ्टवेयर तैयार किया है. इस प्रक्रिया से गुजरने के बाद इसे शोध गंगा में अपलोड किया जाता है. विवि कंप्यूटर सेंटर से स्वीकृति मिलने के बाद ही संबंधित विद्यार्थी का रिजल्ट जारी किया जाता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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