कैंसर से जंग लड़ रहा प्रियव्रत बना स्कूल का थर्ड टॉपर, बोर्ड परीक्षा के दौरान भी दो कीमोथेरेपी से गुजरा
इस बच्चे की खासियत यह है कि यह कैंसर का मरीज है और परीक्षा के दौरान इसने दो कोमोथेरेपी कराया था. बच्चे की जीवटता देखकर वह शेर एक बार फिर याद आता है जिसमें कहा गया है- खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रजा क्या है
बच्चे का नाम-प्रियव्रत पाढ़ी, स्कूल-डीएवी बरियातु, अंक-96.4 प्रतिशत. आप ये कह सकते हैं कि नंबर अच्छे हैं, लेकिन इससे ज्यादा मार्क्स वाले बच्चे भी रांची में हैं. लेकिन इस बच्चे की खासियत यह है कि यह कैंसर का मरीज है और परीक्षा के दौरान इसने दो कोमोथेरेपी कराया था. बच्चे की जीवटता देखकर वह शेर एक बार फिर याद आता है जिसमें कहा गया है- खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रजा क्या है.
प्रियव्रत पाढ़ी 16 साल के हैं और वे मेडिकल साइंस के क्षेत्र में अपना कैरियर बनाना चाहते हैं. उनका कहना है कि कठिन समय जीवन में आता है, लेकिन हमें हिम्मत नहीं हारनी चाहिए. खुद पर भरोसा करना चाहिए. अपने आत्मबल के सहारे हम बहुत कुछ कर सकते हैं. भगवान, माता-पिता और अपने शिक्षकों से आशीर्वाद और प्रेरणा लेनी चाहिए, फिर कुछ भी असंभव नहीं है. रिजल्ट से मैं संतुष्ट हूं थोड़े और नंबर मुझे आ सकते थे, लेकिन मैं संतुष्ट हूं.
प्रियव्रत के पिता नारायणचंद्र पाढ़ी शिक्षक हैं और रांची के डीएवी हेहल स्कूल में अंग्रेजी के शिक्षक हैं. इनके पिता ने प्रभात खबर के साथ बातचीत में बताया कि उनके बेटे को सितंबर 2019 में बुखार आया था, जिसके इलाज के लिए उन्होंने रिम्स में संपर्क किया. वह कुछ दिन वहां पर भरती भी रहा. लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. उसके बाद वे प्रियव्रत को लेकर भुवनेश्वर गये, क्योंकि वे मूलत: ओडिशा के ही रहने वाले हैं.
वहां भी उसका इलाज हुआ और सीटी स्कैन भी हुआ. तब वहां के डॉक्टरों ने सलाह दिया कि बच्चे को कुछ दिक्कत है, जिसके लिए टेस्ट करना होगा. तब वे लोग उसे लोग गुरुग्राम गये और जहां उसका बॉयोपसी टेस्ट हुआ. 29 सितंबर को यह पता चला कि बच्चे को कैंसर है. डॉक्टर ने कहा कि उसे ‘हॉजकिन लिंफोमा’ है और यह थर्ड स्टेज में पहुंच चुका है. लेकिन इसका इलाज संभव है.
रिपोर्ट आने के बाद प्रियवत्त वो दिल्ली के राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर में भरती कराया गया, जहां उसको नौ कीमो दिया गया. उसके बाद उसे रांची आना पड़ा क्योंकि दसवीं की परीक्षाएं आ गयीं थीं. रांची में डॉ कुमार सौरव ने उसे तीन कीमो दिया. सितंबर से मार्च तक उसे 12 कीमो दिये गये जिसमें से दो कीमो परीक्षा के दौरान दिये गये थे. साइंस और सोशल साइंस की परीक्षा से पहले उसे कीमो दिया गया था.
एक कीमो के बाद प्रियवत्त थोड़ा परेशान हुआ था, वह कह रहा था कि अब वह कीमो नहीं करायेगा क्योंकि उसकी परीक्षा है, लेकिन फिर डॉक्टर ने उसे समझाया. दिल्ली के डॉक्टर संदीप जैन ने उससे फोन पर बात की, जब जाकर उसने परीक्षा दी और अपने स्कूल का थर्ड टॉपर बना है. कैंसर की शुरुआत गले से हुई थी जो फेफड़े से होते हुए पेट तक भी पहुंच गया था.
प्रियवत्त अपने परिवार का छोटा बेटा है. उसका बड़ा भाई संत जेवियर कॉलेज में बीकॉम का छात्र है और मां रेणुबाला पाढ़ी गृहिणी हैं. पिता नारायणचंद्र ने बताया कि मेरा बेटा काफी हिम्मती है और पूरे परिवार का भी उसे सहयोग मिला. साथ ही उसके स्कूल के प्रिंसिपल एम के सिन्हा और तमाम शिक्षकों का उसकी बीमारी के दौरान बहुत सहयोग मिला. उन्होंने उसे काफी उत्साहित किया. (रिपोर्ट : रजनीश आनंद की)
Posted By : Pritish Sahay