Jharkhand News : प्रगतिशील लेखक संघ (झारखंड) का चौथा राज्य सम्मेलन शनिवार को रांची के पुरुलिया रोड स्थित एसडीसी सभागार में हुआ. इसमें झारखंड समेत अन्य प्रांत के लेखक, कथाकार व आलोचक शामिल हुए. सम्मेलन को साहित्यकार स्व खगेंद्र ठाकुर को समर्पित किया गया. पहला सत्र अस्मिता की राजनीति और प्रगतिशील रचनाकर्म की जिम्मेवारी पर था. इस सत्र के अध्यक्ष प्रो चौथी राम यादव ने कहा कि प्रगतिशील लेखक संघ को जातिवाद के खिलाफ अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी. समाज के जिस वर्ग के लिए साहित्यकार अपनी रचना से संघर्ष कर रहे हैं, उन्हें लोगों को भी जागरूक करना होगा. उन्होंने कहा कि समाज की कसौटी पर वही साहित्य खरा उतरेगा, जिसमें उच्च चिंतन हो, स्वाधीनता का भाव हो सौंदर्य का सार हो, सृजन की आत्मा हो, जो गति और बेचैनी पैदा करें. ऐसे में साहित्यकार को उन चीजों का विरोध करना होगा, जो पूंजीवाद को बढ़ावा देती हैं.
शोषण और दमन से अस्मिता की राजनीति
कथाकार रणेंद्र ने विषय प्रवेश करते हुए कहा कि समाज में लेखनी के कई मुद्दे हैं. सामाजिक मुद्दों पर आलेख लिखने पर राजनीति होती है. यह सत्ता को सुखद बनाती है, पर मूल क्षेत्र में फर्क नहीं आता. शोषण और दमन से अस्मिता की राजनीति चल रही है. लेखक वर्ग को साहित्य के सहयोग से पूंजीवाद कैसे खत्म हो, इस पर विचार करना होगा. इसके लिए आने वाली पीढ़ी को साहित्य के नये विषय देने के साथ-साथ उनका मार्गदर्शन करना जरूरी है. प्रगतिशील लेखक संघ के राष्ट्रीय महासचिव सुखदेव सिंह सिरसा ने कहा कि लेखक का दायित्व सिर्फ कागज तक सिमटना नहीं है, बल्कि समाज के बीच संवाद स्थापित करना है.
फासीवाद के खिलाफ भी करना होगा संघर्ष
लेखक संघ चंडीगढ़ के सरबजीत सिंह ने कहा कि आज के लेखक को कॉरपोरेट जगत ही नहीं, फासीवाद के खिलाफ भी संघर्ष करना होगा. अस्मिता की राजनीति पर बात करते हुए प्रो रवि भूषण ने अस्मिता की राजनीति और प्रगतिशील रचना कर्म पर अपने विचार रखे. उन्होंने कहा कि अस्मिता का साहित्य वर्गीय साहित्य के विरोध में रचा गया है. अस्मिता पर रचा गया साहित्य जातिवाद व फासीवाद के खिलाफ है. प्रगतिशील लेखक संघ के रविंद्र नाथ राय ने साहित्य को वंचितों का माध्यम बनाने पर जोर दिया.
राष्ट्रवाद की अवधारणा पर चर्चा
दूसरे सत्र में राष्ट्रीयता, राष्ट्रवाद और अन्य अवधारणा पर चर्चा हुई. सत्र की अध्यक्षता डॉ सुखदेव सिरसा और डॉ संजय श्रीवास्तव ने की. वक्ताओं ने राष्ट्रवाद की अवधारणा में धर्म और संस्कृति के विषयों को मूल स्वरूप देकर लोगों को जागरूक करने की बात कही. सम्मेलन में विभूति नारायण राय, जयनंदन, शशि कुमार, महादेव टोप्पो, इप्टा के राष्ट्रीय सचिव शैलेंद्र कुमार, एमजेड खान, खगेंद्र ठाकुर की पुत्री निशी प्रभा, पंकज मित्र, राकेश मिश्रा, जेवियर कुजूर, प्रो अमर भद्र, वीणा श्रीवास्तव, अनीश अंकुर, प्रवीण परिमल समेत अन्य मौजूद थे.
रिपोर्ट : अभिषेक रॉय, रांची