रांची (वरीय संवाददाता). झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की अदालत ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दुर्भावनापूर्ण रूप से दायर किये गये मामले में आपराधिक कार्यवाही को निरस्त कर दिया. अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि जब कोई मामला दुर्भावनापूर्ण इरादे से दायर किया जाता है और बाद में हाइकोर्ट में चुनौती दी जाती है, तो निर्दोष व्यक्ति के गलत अभियोजन को रोकने के लिए मामले की सावधानीपूर्वक जांच करने की अधिक जिम्मेवारी होती है. हाइकोर्ट की जिम्मेवारी है कि वह सावधानी के साथ इसकी जांच करे, जिससे किसी निर्दोष व्यक्ति पर आपराधिक मामले में मुकदमा न चलाया जा सके. वर्तमान मामले के तथ्यों पर अदालत ने कहा कि जो कुछ भी यहां दर्ज किया गया है, उससे स्पष्ट रूप से पता चलता है कि प्रार्थी के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण रूप से वर्तमान मामला दायर किया गया. वर्तमान कार्यवाही को आगे जारी रखने की अनुमति देना कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा. अदालत ने याचिका स्वीकार करते हुए संज्ञान लेने के आदेश सहित पूरी आपराधिक कार्यवाही को निरस्त कर दिया. इससे पूर्व बताया गया कि विचाराधीन मामले में शिकायत शामिल थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि पैतृक संपत्ति के बंटवारे की शिकायतकर्ता की मांग से आरोपी व्यक्ति नाराज हो गये, जिसके कारण घटना हुई. उक्त घटना में आरोपी ने शिकायतकर्ता व उसकी पत्नी पर हमला किया और पैसे व कीमती सामान चुरा लिये. प्रार्थी ने सुनवाई के दाैरान पूरी आपराधिक कार्यवाही रद्द करने की मांग करते हुए तर्क दिया कि दिल्ली व नोएडा में रहनेवाले व्यक्तियों को भी बिना किसी आधार के फंसाया गया है. यह विवाद मूल रूप से संपत्ति का मुद्दा है, जिसमें कोई चोट रिपोर्ट नहीं है. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी अवध किशोर लाल ने याचिका दायर कर संज्ञान व आपराधिक कार्यवाही को चुनाैती दी थी.
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