रांची : झारखंड हाइकोर्ट में शुक्रवार को राज्य के पर्यटन स्थलों दशम फॉल, जोन्हा फॉल, सीता फॉल, हुंडरू फॉल आदि के विकास को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दाैरान मलूटी के मंदिरों की तस्वीरें देखते हुए माैखिक रूप से टिप्पणी की.
खंडपीठ ने कहा कि जीर्णोंद्धार के नाम पर मलूटी के मंदिरों का सत्यानाश कर दिया गया. कबाड़ा कर दिया गया. जीर्णोद्वार के बाद मूल मंदिर तो दिखता नहीं है. प्लास्टर कर दिया गया. टाइल्स लगा दिये गये. इसमें माैलिकता को नष्ट कर दिया गया है.
खंडपीठ ने अॉर्कियोलॉजिकल सर्वे अॉफ इंडिया को निर्देश दिया कि वह समय-समय पर रेस्टोरेशन वर्क को देखे. खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान उपस्थित पर्यटन सचिव और निदेशक से कहा कि झारखंड में बहुत कुछ है. गुजरात ने जैसा विकसित किया, झारखंड में उससे बेहतर किया जा सकता है. हिंदुस्तान में झारखंड को एक अच्छा टूरिस्ट डेस्टीनेशन माना जाये, इसके लिए सरकार को कार्य करना चाहिए.
सरकार से कोई शिकायत नहीं है, बिना फॉरेस्ट व पर्यावरण को डिस्टर्ब किये काम करना है. रास्ता है, रास्ते को सुगम बनाना है. टूरिस्ट डेस्टीनेशन व पर्यटन का हब बन जाने से राज्य को बड़ा राजस्व मिलेगा. साथ ही रोजगार की असीम संभावनाएं पैदा होंगी. खंडपीठ ने कहा कि सिमडेगा में कई स्थल हैं. रामरेखा धाम भी है, उसे डेवलप किया जाना चाहिए. रजरप्पा मंदिर के आसपास का विकास किया जा सकता है. नेतरहाट के पास लोध फॉल है. खंडपीठ ने राज्य सरकार को अगली सुनवाई के दौरान अद्यतन जानकारी देने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई एक मई को होगी.