दल-बदल का मामला स्पीकर के पास नहीं रहना चाहिए इसके लिए अलग से अदालत गठित हो : रबींद्रनाथ महतो
स्पीकर रबींद्रनाथ महतो बुधवार को प्रभात खबर संवाद कार्यक्रम में शामिल होने कोकर स्थित कार्यालय पहुंचे. प्रभात खबर संवाद में पूछे गये सवालों का उन्होंने सारगर्भित जवाब दिया. दल-बदल मामले के बारे में पूछे जाने पर बेबाकी से उन्होंने अपनी बात कही.
स्पीकर रबींद्रनाथ महतो ने प्रभात खबर संवाद कार्यक्रम में कहा कि दल-बदल के कई मामले उनके न्यायाधिकरण में चल रहे है़ं पहले भी चले है़ं कोशिश है कि इसका निपटारा जल्द हो, लेकिन कानूनी प्रक्रिया का भी पालन करना है, उन्होंनेकहा : इस पर मैं अपनी निजी बात रखना चाहता हूं. विधानसभा अध्यक्ष के तौर नहीं. जहां तक मेरा मानना है कि दसवीं अनुसूची विधानसभा अध्यक्ष के न्यायाधिकरण में रहना ही नहीं चाहिए.
इसके लिए अलग से न्यायालय की जरूरत है, मैंने विधानसभा अध्यक्ष के स्वत: संज्ञान लेने के अधिकार को हटा दिया. देखिये विधानसभा अध्यक्ष को स्वत: संज्ञान लेने के अधिकार को लेकर पूरे देश में सवाल खड़े होते रहे हैं. विधानसभा अध्यक्ष किसी दल से संबद्ध होते हैं, संज्ञान लेने के क्रम में कहीं वे दलीय हिंसा की परिधि में तो नहीं आ जा रहे हैं. विधानसभा में बहस के स्तर और मर्यादा के मुद्दे पर कहा कि सदन में कई सदस्य हैं, जिनका संसदीय जीवन काफी लंबा रहा है.
विधानसभा की कार्यवाही पर जनता की निगाह रहती है. सदन बाधित करना अच्छी परिपाटी नहीं है. स्पीकर श्री महतो को यह भी टिस है कि वह स्पीकर बनने के बाद सदन में सवाल नहीं उठा पा रहे हैं. नेता प्रतिपक्ष, नेता सदन भी नहीं रख पाते हैं. हम लोगों को तकलीफ होती है. यह पूछे जाने पर कि हो-हल्ला से आप परेशान रहते हैं, कई बार कहा है कि बीपी का दवा खाकर आया हू़ं स्पीकर ने कहा : हां बीपी की दवा हम लेते हैं.
जब अनावश्यक रूप से कोई विषय सदन में उठता है , तो बीपी बढ़ना लाजमी है. सदन जनता की गाढ़ी कमाई से चलता है. कई बार सदन में किसी व्यक्ति विशेष की समस्या को लेकर बाधित हो जाता है, इस वक्त काफी तकलीफ होती है. यह पूछे जाने पर कि स्पीकर के रूप में ही संतुष्ट हैं या मंत्री होते तो ज्यादा काम करने का मौका मिलता़ उन्होंने कहा : देखिए हम लोगों के अंदर में काम करने की क्या दक्षता है, यह विषय संबंधित दल के नेता बेहतर समझते हैं.
राजभवन द्वारा हाल के दिनों में कई विधेयक लौटाये जाने के मुद्दे पर कहा : इसको हमने काफी गंभीरता से लिया है. पिछले दिनों पंडित रघुनाथ मुर्मू विश्वविद्यालय का विधेयक विधानसभा से पास करा कर राजभवन के पास भेजा. इसमें अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद करने के क्रम में कुछ त्रुटि थी. राजभवन से इस विधेयक को लौटा दिया गया. ऐसा होने पर फिर से पुरानी प्रक्रिया का पालन कर इसे विधानसभा के पटल पर लाना पड़ा. इसको लेकर मैंने संबंधित विभाग के अधिकारियों की बैठक बुलायी थी. इसमें स्पष्ट कहा गया कि यह गलती फिर से नहीं दोहरायी जाये.
मन की बात
सदन बाधित करना अच्छी परिपाटी नहीं है. अगर सदस्यों का मुद्दा है, तो इसको रखने के कई तरीके हैं
आज अध्यक्ष होने के कारण हम सवाल नहीं रख पाते है. तकलीफ होती है.
पार्टी पर बोले
गुरुजी के मार्गदर्शन में झारखंड चल रहा
अभी पार्टी में शिबू का ही युग चल रहा है
बाबूलाल के मामले में बोले : जो नियम संगत और कानून संगत होगा, वह होकर रहेगा
स्पीकर ने बाबूलाल मरांडी के दल-बदल मामले के एक सवाल पर कहा : इस मामले में भविष्यवाणी मैं नहीं कर सकता हूं. यह बता सकता हूं जो नियम संगत और कानून संगत होगा, वह होकर रहेगा. यह पूछे जाने पर कि विपक्ष आप पर पक्षपात का आरोप लगाता है, तो उन्होंने कहा : यह सामान्य बात है. स्पीकर तो किसी दल के ही होते हैं. यह कहना आसान होता है कि, आप पक्षपात कर रहे हैं. लेकिन जब आप आसन पर रहते हैं, तो ऐसा विषय आने पर निर्णय लेना होता है.