पासवा के सम्मेलन में राहुल गांधी बोले – हजारों साल से चल रही संविधान बचाने की लड़ाई, BJP पर साधा निशाना
राहुल गांधी शनिवार रांची में थे. उन्होंने यहां पासवा संविधान सम्मेलन संबोधित करते हुए कहा कि भाजपा के लोग आदिवासी को वनवासी कहते हैं. ये आपके इतिहास को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं.
रांची : संविधान बचाने की लड़ाई नयी नहीं है. यह लड़ाई हजारों साल से चल रही है. आंबेडकर जी ने कहा-एजुकेट. इसका मतलब है कि अपने हक और संविधान को जानो. एजुकेट का यह मतलब नहीं होता है कि आप कॉलेज चले गये. अगर आपको अपना इतिहास नहीं मालूम. आपको समाज में अपनी जगह नहीं मालूम, तब आप एजुकेटेड नहीं हो. ये बातें कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष व लोकसभा के प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहीं. राहुल गांधी शनिवार को पासवा की ओर से आयोजित संविधान सम्मान सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे.
आपके इतिहास को खत्म करने की कोशिश :
इस मौके पर राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने कहा कि जब भाजपा के लोग आदिवासी को वनवासी कहते हैं, तो वह क्या करने की कोशिश कर रहे हैं. आपका जो इतिहास है, जीने का तरीका है, फिलॉसफी है और मेडिकल साइंस है, उसको वह खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं. आदिवासी का मतलब यह है कि जो सबसे पहले मालिक थे. वनवासी का क्या मतलब है, जो जंगल में रहते हैं. दोनों में फर्क देखिये. आदिवासी और वनवासी सिर्फ एक शब्द नहीं है. यह आपकी पूरी हिस्ट्री है. उन्होंने कहा कि मेरी स्कूलिंग हिंदुस्तान में हुई है. आदिवासियों की हिस्ट्री क्या है. इनके जीने का तरीका क्या है. इनकी पॉलिटिक्स क्या है. इनका साइंस क्या है, इसके बारे में स्कूलिंग कुछ नहीं मिलती है.
दलित और ओबीसी पर क्या कहा
दलितों के बारे में एक लाइन मिलेगी. लेकिन उन पर जो अत्याचार हुए, उनकी जो सोच थी, उनकी जो साइंस थी, उसके बारे में कुछ नहीं है. ओबीसी को किसने कहा कि आप पिछड़े हो. आप इस देश को चलाते हो. आपके खून पसीने से यह देश चलता है. आपकी हिस्ट्री कहां है. जिन लोगों ने इस देश को बनाया, किसान, मजदूर, नाई और बढ़ई.. इनकी हिस्ट्री क्या है. कहां लिखा है. फाड़ दिया गया है. हिंदुस्तान के 90 प्रतिशत लोग हिस्ट्री में हैं ही नहीं. मतलब आप छुपे हुए हो.
250 सबसे बड़े कॉरपोरेट में आदिवासी और दलित नहीं मिलेगा :
राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने आगे कहा कि हिंदुस्तान के 250 सबसे बड़े कॉरपोरेट में आपको एक भी आदिवासी और दलित नहीं मिलेगा. 100 रुपये में से पांच रुपये का निर्णय ओबीसी लेते हैं. एक रुपया का निर्णय दलित अफसर लेते हैं और 10 पैसे का निर्णय आदिवासी अफसर लेते हैं. बॉलीवुड में भी आपको दलित, आदिवासी और ओबीसी नहीं दिखायी देंगे. उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के बैंक एकाउंट को सीज कर दिया गया. हम बिना पैसे के चुनाव लड़े. सच्चाई और संविधान साथ लड़े. उन्होंने कहा कि आज दो विचारधाराओं की लड़ाई है.
बिरसा मुंडा एयरपोर्ट पर किया गया स्वागत :
राहुल गांधी का एयरपोर्ट की टर्मिनल बिल्डिंग में उनके स्वागत के लिए प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमलेश, मंत्री इरफान अंसारी, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर, यशस्विनी सहाय सहित दर्जनों कार्यकर्ता उपस्थित थे. दोपहर 2.35 बजे जैसे ही टर्मिनल बिल्डिंग के वीआइपी गेट से राहुल गांधी बाहर निकले कि कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस के झंडे के साथ राहुल गांधी जिंदाबाद का नारा लगाया.
राहुल गांधी के हमशक्ल नूर भी पहुंचे :
कार्यक्रम स्थल पर राहुल गांधी के हमशक्ल नूर भी पहुंचे. वेह अपने साथ संविधान की कॉपी लेकर आये थे. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी से मिल कर उन्हें संविधान की कॉपी सौंपेंगे.
मीडिया को नहीं मिला प्रवेश :
राहुल गांधी के कार्यक्रम में मीडिया को प्रवेश नहीं मिला. कार्यक्रम के लिए सिविल सोसाइटी के प्रतिनिधियों और कांग्रेस नेताओं को पास निर्गत किया गया था. बिना पास के किसी को अंदर जाने नहीं दिया जा रहा था. कार्यक्रम को लेकर सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था थी.
500 प्रतिनिधियों ने लिया हिस्सा
सम्मेलन में विभिन्न सोसाइटी से जुड़े 500 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. इस मौके पर कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी गुलाम अहमद मीर, कांग्रेस विधायक दल के नेता डॉ रामेश्वर उरांव और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय समेत पार्टी के कई नेता व विधायक मौजूद थे.
पासवा की टीम ने राहुल गांधी का किया स्वागत
पासवा के राष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक दुबे के नेतृत्व में पासवा टीम ने शौर्य सभागार में राहुल गांधी का अंग वस्त्र और मोमेंटो प्रदान कर स्वागत किया. स्वागत करनेवालों में लाल किशोर नाथ शाहदेव, राजेश गुप्ता, नीरज कुमार, फलक फातिमा, मेहुल दूबे, डॉ सुषमा केरकेट्टा, संजीत यादव, अभिषेक साहू, रिया कुमारी, शालिनी कुमारी व फिरोज रिजवी मुन्ना शामिल थे. समारोह में श्री गांधी झारखंड के विभिन्न सामाजिक संगठनों के एक्टिविस्ट, संविधानविद और प्रोफेसर सहित अन्य प्रबुद्ध शिक्षाविदों से मिले. उन्होंने कहा कि झारखंड की सामाजिक समस्याओं को सुलझाना उनकी पहली प्राथमिकता है.