IAS राजीव अरुण एक्का प्राइवेट स्थान पर नहीं निपटा रहे थे सरकारी फाइल, जांच रिपोर्ट में हुआ खुलासा

आयोग ने राजीव अरुण एक्का को अपने पद को देखते हुए किसी मित्र को इस तरह सार्वजनिक तौर पर मदद करने से परहेज करने का सुझाव दिया है. साथ ही यह भी कहा है कि ऐसा करना किसी नियम के खिलाफ नहीं है.

By Prabhat Khabar News Desk | December 22, 2023 5:21 AM

रांची : आइएएस अधिकारी राजीव अरुण एक्का प्राइवेट स्थान पर सरकारी फाइल नहीं निपटा रहे थे. वह अपने मित्र विशाल चौधरी को मिले इपीएफ के नोटिस का जवाब बनाने में मदद कर रहे थे. भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी द्वारा जारी किये गये वीडियो के संबंध में हाइकोर्ट के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश वीके गुप्ता की जांच रिपोर्ट में इस तथ्य का उल्लेख किया गया है.

आयोग ने राजीव अरुण एक्का को अपने पद को देखते हुए किसी मित्र को इस तरह सार्वजनिक तौर पर मदद करने से परहेज करने का सुझाव दिया है. साथ ही यह भी कहा है कि ऐसा करना किसी नियम के खिलाफ नहीं है. लेकिन उन्हें अपने उच्च पद को देखते हुए इससे बचने की कोशिश करनी चाहिए.राज्य विधानसभा के शीतकालीन सत्र में सेवानिवृत्त न्यायाधीश वीके गुप्ता की अध्यक्षता में बनी एक सदस्यीय आयोग की रिपोर्ट सदन के पटल पर रखी गयी.

रिपोर्ट में कहा गया कि बाबूलाल मरांडी द्वारा वीडियो जारी कर राजीव अरुण एक्का को प्राइवेट स्थान पर सरकारी फाइलें निपटाने का आरोप लगाया गया था. इस मामले को लेकर सरकार ने आयोग की जांच की जिम्मेदारी सौंपी थी. आयोग ने बाबूलाल मरांडी और राजीव अरुण एक्का को समन जारी कर शपथ पत्र के सहारे संबंधित मामले में अपनी बात कहने का निर्देश दिया.

Also Read: विशाल चौधरी की पत्नी ने काली कमाई का हिस्सा दिया, IAS राजीव अरुण एक्का बोले- कर्ज में दोस्त से लिया पैसा

बाबूलाल ने अपने शपथ पत्र के माध्यम से आयोग को बताया कि उनके कार्यालय में किसी ने एक पेन ड्राइव छोड़ दिया था. इसे खोल कर देखा गया. इसमें एक वीडियो क्लिपिंग थी, जिसमें एक प्राइवेट स्थान पर राजीव अरुण एक्का को निजी लोगों के मौजूदगी में सरकारी फाइलें निपटाते हुए दिखाया गया. राजीव अरुण एक्का ने शपथ पत्र दायर कर बाबूलाल मरांडी के दावे को गलत बताया.

आयोग के समक्ष हाजिर हुए थे एक्का :

राजीव अरुण एक्का आयोग के समक्ष हाजिर हुए. उन्होंने आयोग द्वारा पूछे गये सवालों के जवाब देते हुए कहा कि वह अपने मित्र विशाल चौधरी के कार्यालय में गये थे. वहां उन्होंने अपने मित्र को इपीएफ से मिले नोटिस का जवाब बनाने में मदद की. उन्होंने इसके बदले में किसी तरह का शुल्क नहीं लिया. उन्होंने बगल में खड़ी लड़की को नीलोफर के रूप में पहचान की. वह उन्हें इपीएफ से जुड़े मुद्दे के बारे में बता रही था.

वह पहली बार उससे मिले थे. आयोग ने सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद नीलोफर को समन भेजने की जरूरत नहीं महसूस की. आयोग द्वारा प्रकाशित विज्ञापन के मद्देनजर भी कोई व्यक्ति इस वीडियो के संबंध में अपनी बात कहने के लिए आयोग के सामने नहीं आया. इस सभी परिस्थितियों के मद्देनजर यह पाया गया कि राजीव अरुण एक्का द्वारा शपथ पत्र के माध्यम से दी गयी जानकारी पर विश्वास नहीं करने का कोई कारण आयोग के पास नहीं है. आयोग ने यह माना कि राजीव अरुण एक्का किसी प्राइवेट स्थान पर सरकारी फाइलें नहीं निपटा रहे थे.

Next Article

Exit mobile version