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EXCLUSIVE: जन्म से 16 साल पहले सांसद बन गयीं एंजेलीना तिग्गा? राज्यसभा की साइट पर है गलत जानकारी

राज्यसभा के सांसदों के तमाम रिकॉर्ड संसद की वेबसाइट पर अपडेट हैं. देश की पहली आदिवासी महिला सांसद के बारे में जब आप इस साइट पर सर्च करेंगे, तो आपको उनका नाम, पार्टी का नाम और राज्य का नाम मिल जायेगा, लेकिन बाकी कोई जानकारी नहीं मिलेगी. जन्मदिन की तारीख भी गलत दी गयी है.

देश को पहली महिला आदिवासी सांसद झारखंड ने दिया. तत्कालीन बिहार से झारखंड पार्टी ने उन्हें उच्च सदन यानी राज्यसभा का सदस्य बनाया था. राज्यसभा सांसद के रूप में उन्होंने अपनी जिम्मेवारी का बखूबी निर्वहन किया. हालांकि, उनका कार्यकाल बहुत छोटा रहा. सिर्फ दो साल (3 अप्रैल 1952 से 2 अप्रैल 1954) तक वह उच्च सदन की सदस्य रहीं. इस दौरान एंजेलीना तिग्गा ने जन सरोकार से जुड़े मुद्दों पर सरकार से कई सवाल किये. इस जनप्रिय महिला नेता के बारे में ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है. यहां तक कि उनकी व्यक्तिगत और पारिवारिक जानकारियां राज्यसभा के पास भी नहीं हैं. राज्यसभा की वेबसाइट पर उच्च सदन की सांसद रहीं एंजेलीना तिग्गा के बारे में सबसे बड़ी गलत जानकारी उनके जन्मदिन को लेकर है.

राज्यसभा की वेबसाइट पर एंजेलीना तिग्गा (Angelina Tiga) का नाम सर्च करेंगे, तो आपको बताया जायेगा कि श्रीमती एंजेलीना तिग्गा झारखंड पार्टी की सदस्य थीं. वह बिहार का प्रतिनिधित्व करतीं थीं. उनके व्यक्तिगत और पारिवारिक जीवन के बारे में जानकारी लेने के लिए जब आप प्रोफाइल पर क्लिक करेंगे, तो पायेंगे कि उनकी जन्म तिथि 1 जनवरी 1970 है. भला जो एंजेलीना 1952 से 1954 तक राज्यसभा की सांसद रहीं, उनका जन्म इसके करीब 16 साल बाद कैसे हो सकता है?

आदिवासियों में पहली महिला
सुशीला समद अगर भारत की पहली आदिवासी महिला हिंदी विदुषी थीं, तो एंजेलीना तिग्गा को देश की पहली महिला आदिवासी सांसद होने का गौरव प्राप्त है.

राज्यसभा की वेबसाइट पर एंजेलीना की जन्म की तारीख भी गलत

इस प्रखर आदिवासी महिला नेता के बारे में आज भी बहुत ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है. राज्यसभा के पास भी उसकी पहली आदिवासी महिला सदस्य एंजेलीना तिग्गा के बारे में सटीक जानकारी उपलब्ध नहीं है. यहां तक कि उनके जन्मदिन की तारीख भी गलत है. राज्यसभा की साइट पर आप सदस्यों की सूची खंगालेंगे, तो पायेंगे कि इस लिस्ट में एंजेलीना का नाम तो है, लेकिन 1952 से 1954 तक सांसद रहीं तत्कालीन बिहार के रांची में जन्मीं इस आदिवासी नेता की जन्मतिथि गलत अंकित है. साइट पर उनकी जन्मतिथि 1 जनवरी 1970 बतायी गयी है.

Also Read: झारखंड ने राज्यसभा को दिया था पहली महिला आदिवासी सदस्य, एंजेलीना तिग्गा के बारे में कितना जानते हैं आप?

राज्यसभा को उनकी व्यक्तिगत व पारिवारिक जानकारी तक नहीं

उनके नाम के आगे श्रीमती लिखा है, लेकिन उनके पति और बच्चों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गयी है. बिहार से झारखंड पार्टी की राज्यसभा सांसद श्रीमती एंजलीना तिग्गा के पेज में अंदर डिटेल्स खंगालेंगे, तो पायेंगे कि वह स्वतंत्रता सेनानी थीं. उनकी कोई किताब नहीं छपी. सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में, शैक्षणिक, कलात्मक और वैज्ञानिक गतिविधियों के अलावा किन विषयों में उनकी रुचि थी, इसके बारे में भी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है. एंजेलीना तिग्गा सांसद के रूप में कभी विदेश नहीं गयीं.

पिता और पति के नाम की जगह लिखा Null

एंजेलीना तिग्गा के व्यक्तिगत प्रोफाइल में बताया गया है कि उनका जन्म 1 जनवरी 1970 को हुआ था. उनके जन्मस्थान की जगह नल (Null) लिखा है. यानी ज्ञात नहीं है. उनके पिता और माता का नाम भी ज्ञात नहीं है. यहां तक कि उनकी वैवाहिक स्थिति के आगे भी मालूम नहीं लिखा गया है. उनके कितने बेटे या बेटियां थीं, इस बारे में भी कोई जानकारी नहीं है. हालांकि, इनके आगे Null नहीं लिखा है. दोनों जगहों को खाली छोड़ दिया गया है. उनका पेशा क्या था, यह भी ज्ञात नहीं है.

राज्यसभा सांसद के बारे में साइट पर गलत जानकारी
1952 से 1954 तक सांसद रहीं तत्कालीन बिहार की इस आदिवासी नेता की जन्मतिथि गलत अंकित है. साइट पर उनकी जन्मतिथि 1 जनवरी 1970 बतायी गयी है.

भारत की पहली आदिवासी महिला सांसद एंजेलीना तिग्गा

यहां बताना प्रासंगिक होगा कि रांची के पत्थलकुदवा की एंजेलीना तिग्गा का जन्म 3 अगस्त 1909 को हुआ था. वह उरांव जनजाति से आतीं थीं. प्रखर वक्ता और प्रभावशाली महिला नेता एंजेलीना तिग्गा में संगठन खड़ा करने की अद्भुत क्षमता थी. आजादी के पहले और आजादी के बाद उन्होंने आदिवासी महिलाओं में राजनीतिक चेतना जगाने में अहम भूमिका निभायी. आदिवासी महासभा को मजबूती प्रदान करने में भी उनकी सक्रिय भूमिका रही. स्वतंत्रता संग्राम में भी उन्होंने बढ़-चढ़कर भाग लिया था.

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40 से 60 के दशक के बीच कई आंदोलन किये

बता दें कि एंजेलीना तिग्गा ने 1940 से 1960 तक कई आंदोलनों का नेतृत्व किया. कई मुद्दों पर सरकार के खिलाफ मोर्चाबंदी की. 1939 में वह आदिवासी महिला संघ की अध्यक्ष थीं. उनकी नेतृत्व क्षमता को देखते हुए ही उन्हें एग्जीक्यूटिव कमेटी ऑफ बिहार काउंसिल ऑफ वीमेन का सदस्य बनाया गया.

1953 में डीवीसी के श्रमिकों की हड़ताल का मुद्दा उठाया

एजेंलीना तिग्गा ने संसद के पांचवें सत्र में 24 दिसंबर 1953 को डीवीसी में कर्मचारियों की हड़ताल का मुद्दा उठाया था. सदन में मौजूद डिप्टी मिनिस्टर ने उनके सवालों का उत्तर दिया था. इससे पहले 16 दिसंबर 1953 को उन्होंने भारत में ब्रेल प्रिंटिंग मशीन से संबंधित सवाल पूछा था. राज्यसभा की वेबसाइट पर जो जानकारी उपलब्ध है, उसके अनुसार, सदन की किसी कमेटी में उनको जगह नहीं मिली. इस वेबसाइट के मुताबिक, उन्होंने कोई प्राइवेट मेंबर्स बिल संसद में पेश नहीं किया.

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