Ram Navami: तपोवन मंदिर में 1929 में पहली बार हुई थी महावीरी पताके की पूजा
तपोवन मंदिर का निर्माण कब हुआ, यह आज तक रहस्य है. मंदिर के वर्तमान महंत ओम प्रकाश शरण ने बताया कि मंदिर लगभग 375 वर्ष पुराना है. नाम पर गौर किया जाये, तो तपोवन मंदिर की भूमि पहले तप स्थली थी और चारों ओर घने जंगल थे.
Ram Navami: राजधानी के श्री राम जानकी तपोवन मंदिर में वर्ष 1929 में रामनवमी के दिन पहली बार महावीरी पताके की पूजा हुई थी. इसे महावीर चौक स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर से तपोवन मंदिर लाया गया था. मंदिर के तत्कालीन महंत रामशरण दासजी ने जुलूस का स्वागत किया और विधि विधान से महीवीरी पताके की पूजा की थी. उसी दिन से तपोवन मंदिर रामनवमी से जुड़ गया.
तपोवन मंदिर का निर्माण कब हुआ, यह आज तक रहस्य है. मंदिर के वर्तमान महंत ओम प्रकाश शरण ने बताया कि मंदिर लगभग 375 वर्ष पुराना है. नाम पर गौर किया जाये, तो तपोवन मंदिर की भूमि पहले तप स्थली थी और चारों ओर घने जंगल थे. ऋषि बंकटेश्वर दास महाराज इस जगह पर तपस्या में लीन रहते थे. एक बार अंग्रेज अधिकारी ने उनके पास बैठे बाघ को गोली मार दी. इसके बाद अपनी गलती मान उस अधिकारी ने प्रायश्चित का मार्ग पूछा. तब महंतजी ने एक मंदिर बनवा देने की बात कही. अधिकारी ने बैद्यनाथ धाम को देख भगवान शंकर का मंदिर बनाने का संकल्प लिया. मंदिर निर्माण का काम शुरू हुआ ही था कि महंत को सपने में भगवान राम ने खुद के भूमिगत होने और बाहर निकालने की बात कही.
अंग्रेज अधिकारी के मार्गदर्शन पर खुदाई कराने पर जमीन से राम-जानकी की मूर्ति निकली. दोनों मूर्ति को स्थापित किया गया. बाद में जयपुर से लक्ष्मण की मूर्ति मंगवाकर साथ में रखी गयी. बाद में भगवान शिव, भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा मंदिर, हनुमान और बटेश्वर नाथ मंदिर बनवाया गया. समय के साथ भगवान विष्णु, कृष्ण के विराट स्वरूप, माता दुर्गा, शिव और गौरी गणेश, भगवान वामन, लक्ष्मी नारायण, राधाकृष्ण नरसिंह भगवान और बनवासी राम लक्ष्मण और माता शबरी के मंदिर भी बने. मंदिर परिसर में दो समाधियां हैं. इनमें एक 1905 में बनी बंकटेश्वर दास की और दूसरी महंत राम शरण दास की है, जिसे 1945 में बनवाया गया. तपोवन मंदिर की विशेषता भगवान का पहनावा और शृंगार है, इसे अयोध्या शैली पर किया जाता है.
भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव कल धूमधाम से मनेगा
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव गुरुवार को धूमधाम से मनाया जायेगा. गुरुवार के दिन मध्यान्ह व्यापिनी नवमी मिलने के कारण इस दिन रामनवमी का त्योहार मनाया जायेगा. गुरुवार की रात्रि 11:30 बजे तक नवमी तिथि मिल रही है. यह तिथि बुधवार की रात 9:07 के बाद से शुरू हो जायेगी. वहीं, गुरुवार होने और पुष्य नक्षत्र मिलने के कारण गुरु पुष्य का संजोग मिल रहा है, जिसे काफी शुभ माना जा रहा है. क्योंकि, गुरुवार भगवान विष्णु की पूजा का दिन है और प्रभु श्रीराम उनके अवतार हैं. इस दिन मां बाग्लामुखी के अलावा सिद्धिदात्री की भी पूजा की जायेगी. इसके अलावा अमृत सिद्धि योग, रवि योग व सर्वार्थ सिद्धि का संयोग है.
रामनवमी के दिन सुबह से ही पूजा शुरू हो जायेगी. इस दिन राम मंदिर के अलावा हनुमान मंदिरों में भी पूजा की जायेगी. मान्यता है कि हनुमान की पूजा के बिना उनके आराध्य देव की पूजा सफल नहीं मानी जाती है. इस कारण हनुमान मंदिरों में भी पूजा के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ती है. गुरु पुष्य योग और अमृत सिद्धि योग गुरुवार को दिन के 10:59 बजे शुरू होगा और शुक्रवार की सुबह 06:13 बजे तक रहेगा. इसके अलावा गुरु योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग सूर्योदय से सूर्यास्त तक रहेगा. पंडित कौशल कुमार मिश्र ने बताया कि रामनवमी के दिन भगवान राम और हनुमान जी के मंदिरों में उनके दर्शन और पूजा का विशेष महत्व है. इसके अलावा रामचरितमानस और हनुमान चालीसा का पाठ करने का भी विशेष महत्व है.