राज्यपाल रमेश बैस ने झारखंड नगरपालिका (संशोधन) विधेयक-2022 को स्वीकृति प्रदान कर दी है. दिसंबर 2022 में झारखंड विधानसभा से इस संशोधित विधेयक को पारित करा कर राज्यपाल के पास स्वीकृति के लिए भेजा गया था. इस विधेयक को स्वीकृति मिलने से अब नगर निगम में मेयर/अध्यक्ष के चुनाव में जनसंख्या के आधार पर आरक्षित वर्ग के लिए आरक्षण तय किया जायेगा. यानी मेयर व अध्यक्ष पद का चुनाव रोस्टर के आधार पर नहीं होगा.
अब एसटी/एससी/ओबीसी में रोटेशन शब्द हटा दिया गया है. यानि जो सीट पहले एससी के लिए आरक्षित थे, वे एसटी या अन्य रिजर्व कैटेगरी के लिए किये जा सकेंगे. बताया जाता है कि इस बार के चुनाव में रांची नगर निगम के मेयर पद के लिए एसटी से हटाकर एससी के लिए कर दिया गया था. इसका कई संगठनों ने विरोध भी किया, तो राज्य सरकार नियम में संशोधन के लिए झारखंड विधानसभा में विधेयक लायी. हालांकि, इस विधेयक का भाजपा सहित अन्य दलों ने विरोध भी किया था. यह मामला टीएसी में भी गया था.
विवि में असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति में नैक ग्रेडिंग से पीएचडी अंक की बाध्यता समाप्त : राज्यपाल रमेश बैस ने यूजीसी रेगुलेशन-2018 (संशोधन) नियमावली को भी मंजूरी प्रदान कर दी है. इसके तहत अब विवि में शिक्षकों, पदाधिकारियों व प्राचार्य की नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है. इस नियमावली के स्वीकृति होने से शिक्षकों, पदाधिकारियों व प्राचार्य की नियुक्ति व प्रोन्नति की न्यूनतम अर्हता तय हो गयी है.
असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति में नैक ग्रेडिंग के आधार पर पीएचडी प्वाइंट की अनिवार्यता समाप्त हो गयी है. ऐसे में असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति में अधिक से अधिक युवाओं की भागीदारी सुनिश्चित हो सकेगी. पूर्व में एक से सौ एनआइआरएफ रैंकिंग वाले या ए/ए प्लस/ए प्लस प्लस संस्थान से पीएचडी करने पर 30 प्वाइंट निर्धारित थे. इससे झारखंड के विद्यार्थी पिछड़ जा रहे थे. असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए अब झारखंड लोक सेवा आयोग द्वारा झारखंड पात्रता परीक्षा (जेट) का आयोजन किया जायेगा.
इसके अलावा एक जुलाई 2023 तक जो नेट पास रहेंगे, वे असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए योग्य होंगे, लेकिन दो जुलाई 2023 से जो भी नेट पास होंगे, उन्हें पीएचडी करना अनिवार्य होगा. तभी वे असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति के योग्य होंगे. इसी प्रकार छह अगस्त 2021 से जो प्राचार्य बने हैं. वे पांच वर्ष के बाद सीधे प्रोफेसर बन जायेंगे. लेकिन जो प्राचार्य पुन: प्राचार्य के पद पर ही रहना चाहते हैं, तो उन्हें अगले पांच वर्ष के लिए जेपीएससी से स्वीकृति लेनी होगी. प्राचार्य के लिए अभ्यर्थी को कम से कम एसोसिएट प्रोफेसर होना होगा. विवि अधिकारी की नियुक्ति में सीनियर स्केल के रूप में कम से कम 19 वर्ष की सेवा पूरी करनी होगी.
राज्यपाल रमेश बैस ने बीएड रेगुलेशन की भी स्वीकृति प्रदान कर दी है. इसके तहत बीएड और एमएड के साथ-साथ अब बीपीएड व एमपीएड को भी शामिल कर लिया गया है. राज्य में एनसीटीइ के तहत निजी, सरकारी व अंगीभूत कॉलेजों में अब बीएड/बीपीएड/एमएड/एमपीएड कोर्स की स्वीकृति के साथ शिक्षण शुल्क व नामांकन प्रक्रिया को स्वीकृति दे दी गयी है.