रांची. जेबीवीएनएल और एनटीपीसी की ज्वाइंट वेंचर कंपनी पतरातू विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (पीवीयूएनएल) से बिजली उत्पादन की प्रक्रिया अंतिम चरण में है. मार्च तक बिजली उत्पादन होने लगेगा. बिजली उत्पादन के बाद इसके ट्रांसमिशन को लेकर समस्या थी. अब यह रोड़ा खत्म हो गया. इससे उत्पादित बिजली लेने के लिए झारखंड ऊर्जा संचरण निगम की सात किलोमीटर लंबी ट्रांसमिशन लाइन के निर्माण को लेकर वर्षों से लंबित फॉरेस्ट क्लीयरेंस मिल गया. 17 जनवरी को ट्रांसमिशन निगम की पहल और प्रयास के बाद फॉरेस्ट क्लीयरेंस मिल गया और अब काम भी शुरू हो चुका है.
यह लाइन कटिया ग्रिड को जोड़ेगी
यह लाइन पतरातू प्लांट से लेकर पतरातू प्लांट में ही स्थित कटिया ग्रिड को जोड़ेगी. ताकि, इससे उत्पादित बिजली सीधे ग्रिड को मिले. फिर इस ग्रिड से हटिया ग्रिड को बिजली आपूर्ति की जा सकेगी. लाइन में 12 से 13 टावर लगाये जाने हैं. इसके निर्माण हो जाने के बाद पीवीयूएनएल से उत्पादित बिजली जेबीवीएनएल भी ले सकता है. बताते चलें कि इस लंबित ट्रांसमिशन लाइन के कारण पीवीयूएनएल से बिजली उत्पादन शुरू नहीं हो पा रहा था.
पहले चरण में 800 मेगावाट का होना है उत्पादन
पीवीयूएनएल से झारखंड को मार्च तक बिजली मिलने लगेगी. पहले चरण में 800 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा. इस प्लांट से उत्पादित बिजली का 85 फीसदी हिस्सा झारखंड को मिलेगा, जबकि 15 फीसदी हिस्सा केंद्र का होगा. इससे जेबीवीएनएल को बड़ी राहत मिलेगी. सेंट्रल पावर एक्सचेंज पर निर्भरता कम होगी. प्लांट में प्रोडक्शन को लेकर जरूरी कंस्ट्रक्शन का काम पूरा कर लिया गया है. पतरातू प्लांट से कुल 4000 मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य है. प्रथम चरण में 800 मेगावाट की कुल तीन यूनिट पर काम चल रहा है. इसमें मार्च महीने तक पहली यूनिट से बिजली उत्पादन शुरू हो जायेगा. वहीं, दूसरी और तीसरी यूनिट से इस साल के अंत तक उत्पादन शुरू करने का लक्ष्य है.
एनटीपीसी और जेबीवीएनएल की है ज्वाइंट वेंचर कपंनी
वर्ष 2015 में जेबीवीएनएल और एनटीपीसी के बीच एग्रीमेंट के बाद ज्वाइंट वेंचर कंपनी पतरातू विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (पीवीयूएनएल) बनी. वर्ष 2016 में कंपनी को एनटीपीसी के हवाले कर दिया गया. जनवरी 2016 में भेल को इसका कार्यादेश दिया गया. एग्रीमेंट के अनुसार, एनटीपीसी के पास पीवीयूएनएल का 74 प्रतिशत और जेबीवीएनएल के पास 26 प्रतिशत हिस्सा है. इस प्लांट के लिए जेबीवीएनएल जमीन, कोयला और पानी दे रहा है, जबकि एनटीपीसी पैसा लगा रहा है. झारखंड सरकार का ऊर्जा विभाग इसकी मॉनिटरिंग कर रहा है.
बोले अधिकारी
ट्रांसमिशन लाइन के निर्माण के लिए फॉरेस्ट क्लीयरेंस 17 जनवरी को मिल चुका है और काम भी शुरू हो गया है. डेढ़ माह में लाइन तैयार हो जायेगी. इसके बाद पीवीयूएनएल से उत्पादित बिजली लेने में हम सक्षम हो जायेंगे.
केके वर्मा, एमडी, ट्रांसमिशन निगमB
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है