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उत्पाद विभाग के दारोगा विश्वनाथ राम को 4 साल की सजा, 1.30 लाख रुपये जुर्माना, जानें पूरा मामला

विश्वनाथ राम पर 40 हजार रुपये रिश्वत लेने का आरोप है. इसी मामले में कोर्ट ने उन्हें दोषी करार दिया था. जज प्रकाश झा ने इस मामले में आज सजा सुना भी सुना दी. बता दें कि इस मामले के एक अन्य आरोपी सिपाही रामलखन राय को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया था.

झारखंड की राजधानी रांची स्थित एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) की विशेष अदालत ने उत्पाद विभाग के दारोगा विश्वनाथ राम को चार साल की सजा सुना दी है. साथ ही 1 लाख 30 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. कोर्ट ने कहा है कि जुर्माने की राशि अदा नहीं करने पर विश्वनाथ राम को 9 महीने अतिरिक्त जेल की सजा भुगतनी होगी. एसीबी के विशेष जज प्रकाश झा ने शुक्रवार को सजा का ऐलान किया.

40 हजार रुपये रिश्वत लेने का है विश्वनाथ राम पर आरोप

विश्वनाथ राम पर 40 हजार रुपये रिश्वत लेने का आरोप है. इसी मामले में कोर्ट ने उन्हें दोषी करार दिया था. जज प्रकाश झा ने इस मामले में आज सजा सुना भी सुना दी. बता दें कि इस मामले के एक अन्य आरोपी सिपाही रामलखन राय को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया था. मामला वर्ष 2014 का है. मामले में एसीबी (Anti Corruption Bureau Ranchi Jharkhand) के विशेष लोक अभियोजक एके गुप्ता ने 14 गवाह कोर्ट में पेश किये.

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क्या है पूरा मामला

25 मार्च 2014 को झारखंड की राजधानी रांची के कचहरी चौक स्थित चाय की दुकान से 40 हजार रुपये घूस लेते दोनों आरोपियों को निगरानी की टीम ने गिरफ्तार किया था. निगरानी की टीम ने जिस दिन कार्रवाई की, उससे एक दिन पहले प्रवीण कुमार नामक शख्स ने निगरानी के एसपी के पास उत्पाद विभाग के दारोगा के खिलाफ शिकायत की थी.

उत्पाद विभाग के दारोगा ने परमिट के लिए मांगी थी रिश्वत

शिकायत के आधार पर निगरानी की टीम ने जाल बिछाकर विश्वनाथ राम को धर दबोचा. दरअसल, शिकायतकर्ता प्रवीण कुमार ने कहा था कि पिस्का मोड़ में उनकी लाइसेंसी शराब की दुकान है़ उन्हें गोदाम से 245 पेटी शराब का उठाव करना था. उसके लिए परमिट चाहिए थी. परमिट के लिए उत्पाद विभाग के सहायक आयुक्त अरविंद कुजूर के पास गये. अरविंद कुजूर ने कहा शराब का उठाव करने के लिए रिश्वत देनी होगी.

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90 हजार रुपये मांगे, 40 हजार में हुआ सौदा

प्रवीण कुमार ने अरविंद कुजूर से पूछा कि पेमेंट कैसे करना है़ इस पर कुजूर ने प्रवीण से कहा कि वह दारोगा विश्वनाथ राम से मिल लें. वह सारी बात समझा देगा. विश्वनाथ राम ने परमिट पास करने के लिए 90 हजार रुपये घूस मांगे. बाद में बातचीत हुई और सौदा 40 हजार रुपये में तय हुआ. विश्वनाथ राम घूस की रकम लेने के लिए कचहरी स्थित चाय दुकान (झोपड़ीनुमा होटल) में प्रवीण कुमार को बुलाया.

रामलखन राय को भी निगरानी ने किया था गिरफ्तार

विश्वनाथ राम के बताये अनुसार प्रवीण कुमार उस चाय दुकान में पहुंच गये. यहां 40 हजार रुपये लेते समय विश्वनाथ राम को निगरानी की टीम ने गिरफ्तार कर लिया. जिस वक्त विश्वनाथ रिश्वत की रकम ले रहा था, उसके साथ सिपाही रामलखन राय भी था़ निगरानी की टीम ने दोनों को घूस लेते रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया था. हालांकि, रामलखन को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया.

रिपोर्ट : अजय दयाल, रांची

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