भाजपा को मिला बूस्टर डोज, छत्तीसगढ़ की हवा बदल सकती झारखंड की राजनीतिक फिजा

चार राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा खेमा उत्साहित है. मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के परिणाम से राजनीतिक मिजाज भांपे जा रहे हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | December 4, 2023 12:05 AM
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आनंद मोहन, रांची : चार राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा खेमा उत्साहित है. मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के परिणाम से राजनीतिक मिजाज भांपे जा रहे हैं. भाजपा और दूसरी तरफ इंडिया गठबंधन के लिए यह चुनाव आने वाले चुनावों के लिए प्लॉट तैयार करनेवाला था. मध्य प्रदेश में भाजपा ने अपना गढ़ बचा लिया. वहीं राजस्थान और छत्तीसगढ़ से कांग्रेस को बेदखल कर बड़ी चुनौती से पार पाया है. झारखंड की राजनीति पर भी इन चुनावों का असर पड़ने वाला है. लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा को बूस्टर डोज मिला है. पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में भाजपा ने जीत हासिल कर झारखंड में इंडिया गठबंधन के सामने बड़ी चुनौती पेश कर दी है. 2018 के विधानसभा चुनाव में 15 सीट लानेवाली भाजपा ने इस चुनाव में सारे अनुमान पलटकर रख दिये. यहां 15 से 50 से ज्यादा सीटों का सफर तय किया. आदिवासी बहुल झारखंड व छत्तीसगढ़ के राजनीतिक समीकरण मिलते-जुलते हैं. छत्तीसगढ़ की हवा, झारखंड की राजनीतिक फिजा बदल सकती है. छत्तीसगढ़ के चुनावी मुद्दे और उस पर कारगर रणनीति से भाजपा ने वोटरों को साधा है.

भाजपा झारखंड में झामुमो-कांग्रेस को घेरेगी

पिछले चुनाव में आदिवासी सीटों पर मिली बड़ी शिकस्त के बाद भाजपा झारखंड में झामुमो और कांग्रेस को घेरेगी. छत्तीसगढ़ के सरगूजा व बस्तर आदिवासी सीटें हैं. इन सीटों पर भाजपा ने अपना परचम लहराया है. छत्तीसगढ़ में 29 आदिवासी सीटें हैं. सरगूजा में छह सीटें, बस्तर में पांच, उत्तर बस्तर में तीन और दक्षिणी बस्तर में तीन एसटी सीटें हैं. इन जगहों पर ज्यादातर सीटें भाजपा की झोली में रहे. वहीं कोरबा के इलाके में चार एसटी सीटें हैं. दुर्ग, धनतरी, रायगढ़, राजनंदगांव, रायपुर इलाके की आदिवासी सीटों पर जीत हासिल कर भाजपा ने चुनाव परिणाम बदले हैं. भाजपा इस रास्ते पर झारखंड में भी राजनीति की गोटी बिछायेगी. हेमंत सोरेन के सामने आदिवासी नेताओं को प्रोजेक्ट कर माहौल बदलने का काम कर सकते हैं. इधर गैर आदिवासी सीटों पर भाजपा पहले से मोर्चाबंदी कर रही है. लोकसभा के साथ-साथ विधानसभा चुनाव की तैयारी अभी से शुरू कर दी है.

एक-एक बूथ पर ताकत झोंक रही भाजपा

जमीनी स्तर पर भाजपा संगठन की मजबूत घेराबंदी का प्रयास शुरू से करती रही है. झारखंड में बहुत पहले से पार्टी इस पर काम कर रही है. बूथ और मंडल स्तर पर सांगठनिक कामकाज को बढ़ाया गया है. बूथ की मॉनिटरिंग केंद्रीय से प्रदेश स्तर के नेता के जिम्मे है. वहीं लोकसभा प्रभारी, विधानसभा प्रभारी से लेकर ग्रास रूट पर संगठन के प्रभारियों के काम की नजदीक से मॉनिटरिंग की जा रही है. छत्तीसगढ़ के चुनावी फॉर्मूले से झारखंड को साधने की कोशिश होगी.

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