Ranchi Court Verdict: रांची-न्यायायुक्त दिवाकर पांडे की अदालत ने पोटा अधिनियम-2002 (Prevention of Terrorism Act, 2002) के तहत दोषी भाकपा माओवादी तिलकमान साहू को आठ साल की सश्रम कारावास की सजा सुनायी. इसके साथ ही 50 हजार का जुर्माना लगाया. जुर्माने की राशि नहीं देने पर अतिरिक्त आठ माह सश्रम कारावास की सजा काटनी होगी. 22 साल पुराने मामले में अदालत ने फैसला सुनाया.
22 साल पुराने मामले में अदालत ने सुनाया फैसला
रांची सिविल कोर्ट के न्यायायुक्त दिवाकर पांडे की अदालत ने मंगलवार को फैसला सुनाया और दोषी तिलकमान साहू को आठ साल की सजा सुनायी. रांची की अदालत में स्पेशल केस नंबर 25/2002 (पी), पालकोट थाना कांड संख्या 05/2002 चल रहा था. 11 फरवरी 2002 को गुमला जिले के पालकोट थाने की पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि माओवादी संगठन (एमसीसी) का सक्रिय सदस्य पालकोट बाजार में लेवी मांगने आया है. इसी सूचना का सनहा दर्ज कर पालकोट पुलिस पालकोट बाजार में लगभग 3.30 बजे पहुंची और तिलकमान साहू को पालकोट पुलिस ने पकड़ लिया था. उसकी तलाशी ली गयी, तो उसके पास से लेवी की रकम बरामद की गयी थी.
तिलकमान साहू की निशानदेही पर एक और नक्सली अरेस्ट
पुलिस ने तिलकमान साहू की निशानदेही पर मुरूमकेला गांव से एक अन्य माओवादी सदस्य शंकर लोहरा को गिरफ्तार कर लिया. तिलकमान साहू ने पुलिस को बताया था कि वह माओवादियों के लिए लेवी वसूलता है. वह माओवादी संगठन से जुड़ा हुआ है. इस मामले में अभियोजन पक्ष की तरफ से 17 साक्षियों का परीक्षण कराया गया और कुछ दस्तावेजी प्रमाण भी पेश किए गए.
पोटा अधिनियम-2002 के तहत अदालत सुनायी सजा
बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता मारवाड़ी साहू ने अदालत में पक्ष रखा था. अभियोजन पक्ष की तरफ से विशेष लोक अभियोजक बीएन शर्मा ने बहस किया था. न्यायायुक्त ने आरोपी तिलकमान साहू को पोटा अधिनियम-2002 की धारा-3(5) के प्रावधान के तहत दोषी पाते हुए सजा सुनायी.