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political news : चुनावी वर्ष में भी सरकार का वित्तीय प्रबंधन रहा सशक्त, 42% राजस्व का सृजन : राधाकृष्ण किशोर

विधानसभा से सरकार का 11697 करोड़ का द्वितीय अनुपूरक बजट ध्वनिमत से पारित, एनडीए विधायकों ने किया वॉक आउट.

रांची. झारखंड विधानसभा सत्र के अंतिम दिन गुरुवार को राज्य सरकार का 11697 करोड़ का द्वितीय अनुपूरक बजट ध्वनिमत से पारित हुआ. इससे पहले एनडीए विधायकों ने सदन से वॉक आउट किया. वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि चुनावी वर्ष में भी सरकार का वित्तीय प्रबंधन सशक्त रहा. वित्तीय वर्ष 2024-25 में 1.28 लाख करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया गया है. राज्य सरकार ने नवंबर तक 42 प्रतिशत राजस्व का सृजन किया. यह दर्शाता है कि सरकार का विजन कैसा है. श्री किशोर ने विधानसभा में अनुपूरक बजट पर चर्चा के बाद सरकार के उत्तर में उक्त बातें कहीं.

हेमंत सरकार ने काफी अच्छा काम किया

उन्होंने कहा कि राज्य में हर पांचवां वर्ष चुनावी वर्ष होता है. चुनावी वर्ष में लोकसभा व विधानसभा के चुनाव होते हैं. इस दौरान पांच माह आदर्श चुनाव संहिता में चले जाते हैं. राज्य सरकार चाह कर भी नयी योजनाएं नहीं लागू कर पाती हैं. इसका असर राजस्व खर्च पर भी पड़ता है. इसके बावजूद हेमंत सरकार ने काफी अच्छा काम किया है. वर्ष 2014-15 में जहां चार हजार करोड़ रुपये खर्च हुए. वहीं, वर्ष 2024-25 में 36 हजार करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. श्री किशोर ने कहा कि कई विभाग चुनावी वर्ष में राशि खर्च नहीं कर पाये. यह राशि सरेंडर होती. ऐसे में सरकार ने दूर दृष्टि अपनाते हुए इस राशि को मंईयां सम्मान योजना व बिजली बिल माफी योजना में खर्च करने के लिए अनुपूरक बजट में प्रावधान किया है. यह कोई नयी परंपरा नहीं है, बल्कि वित्तीय प्रबंधन की जरूरत है. उन्होंने कहा कि महिलाएं मंईयां सम्मान योजना से राशि पाकर खुश हैं. पहले इन्हें एक हजार मिला, अब 2500 रुपये मिलेंगे. महिलाओं को राशि मिलने से उन्हें साधारण बीमारी के लिए किसी के सामने हाथ नहीं पसारना पड़ेगा. महिलाओं के माध्यम से यह राशि मार्केट में जायेगी. इसके बाद विक्रेता के माध्यम से टैक्स के रूप में सरकार के खजाने में आयेगी.

भाजपा पर साधा निशाना

वित्त मंत्री ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि राज्य गठन के बाद से भाजपा ने 13 वर्ष 62 दिनों तक शासन किया. जब झारखंड बाल्यकाल में था, तब इसको सींचने के लिए कोई नीति नहीं बनायी गयी. ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए कोई काम नहीं किया गया. चुनाव के दौरान भाजपा सिर्फ घुसपैठ की बात करती रही, जबकि बॉर्डर एरिया केंद्र सरकार के नियंत्रण में है. यही वजह है कि इन्हें जनता ने 21 सीटों तक सीमित करने का काम किया.

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