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जामताड़ा एक बार फिर सुर्खियों में, ई-सिम फिशिंग रैकेट ने झारखंड समेत पांच राज्यों में की ऑनलाइन धोखाधड़ी, चार साइबर अपराधी हरियाणा से गिरफ्तार

रांची : साइबर क्राइम को लेकर देशभर में कुख्यात जामताड़ा के साइबर अपराधी एक बार फिर सुर्खियों में हैं. अपराध के नये तरीकों को लेकर जामताड़ा साइबर अपराध के क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है. इससे बैंक, मोबाइल वॉलेट और टेलीकॉम कंपनियों की परेशानी बढ़ गयी है. हरियाणा के फरीदाबाद में पुलिस ने एक नये ई-सिम फिशिंग रैकेट के पांच अपराधियों को गिरफ्तार किया है, जिसमें से चार अपराधी जामताड़ा के हैं. इन्होंने पंजाब, हरियाणा, बिहार, पश्चिम बंगाल और झारखंड में 300 से अधिक राष्ट्रीयकृत और निजी बैंक खातों तक पहुंचने के लिए इस तरीके का उपयोग किया है.

रांची : साइबर क्राइम को लेकर देशभर में कुख्यात जामताड़ा के साइबर अपराधी एक बार फिर सुर्खियों में हैं. अपराध के नये तरीकों को लेकर जामताड़ा साइबर अपराध के क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है. इससे बैंक, मोबाइल वॉलेट और टेलीकॉम कंपनियों की परेशानी बढ़ गयी है. हरियाणा के फरीदाबाद में पुलिस ने एक नये ई-सिम फिशिंग रैकेट के पांच अपराधियों को गिरफ्तार किया है, जिसमें से चार अपराधी जामताड़ा के हैं. इन्होंने पंजाब, हरियाणा, बिहार, पश्चिम बंगाल और झारखंड में 300 से अधिक राष्ट्रीयकृत और निजी बैंक खातों तक पहुंचने के लिए इस तरीके का उपयोग किया है.

द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार फरीदाबाद पुलिस ने पांच अपराधियों को गिरफ्तार किया है. पुलिस को अभी तक इसकी जानकारी नहीं मिल पायी है कि इसके जरिए कितने रुपये की धोखाधड़ी हुई है. ई-सिम धोखाधड़ी वाले एक रैकेट के पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इन पांच में से चार जामताड़ा के हैं.

साइबर अपराधियों का गढ़ माना जाने वाला जामताड़ा एक बार फिर सुर्खियों में है. इनके ऑनलाइन ठगी के नये तरीकों ने परेशानी बढ़ा दी है. विभिन्न राज्यों की सुरक्षा एजेंसियों की शिकायतों और पिछले दिनों बढ़ी सख्ती के अलावा इन अपराधियों की गिरफ्तारी के बाद इन्होंने अपराध करने के तरीकों में बदलाव किया है, जो ज्यादा खतरनाक है. इनकी कारस्तानी से बैंकिंग और एप कंपनियों की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठने लगे हैं.

अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक अब जामताड़ा के ठग ऑनलाइन ठगी के नये तरीकों के तहत काफी मोबाइल नंबर्स जमा कर लेते हैं. उसे अलग-अलग बैंकों के अकाउंट में उपायोग करते हैं. उनमें से किसी नंबर पर ओटीपी आ गया, तो वे उस नंबर पर फोन करते हैं ताकि कस्टमर से बैंक में दी गयी ई-मेल आइडी के बारे में वे पता कर सकें. बताया जाता है कि ये ठग सिम कार्ड को अपग्रेड करने या केवाइसी को अपडेट करनेवाले मोबाइल ऑपरेटर के रूप में बात करते हैं.

बैंक कस्टमर को अपने विश्वास में लेकर ये उसकी ई-मेल-आइडी ले लेते हैं. इसके बाद ये ऑफिशियल कस्टमर केयर नंबर पर भेजे जाने वाले टेक्स्ट को उस कस्टमर को ई-मेल कर देते हैं. पीड़ित व्यक्ति के मोबाइल नंबर के साथ उसकी ई-मेल आइडी दर्ज करने की इस प्रक्रिया के जरिए सिम को ई-सिम में बदलने के लिए वे आधिकारिक अनुरोध करते हैं. प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद पीड़ित व्यक्ति का मोबाइल नंबर, बैंक खाता एवं खाते से जुड़ी कई जानकारियां उन अपराधियों के पास पहुंच जाती हैं.

जामताड़ा के नारायणपुर और करमाटांड़ थाने की पुलिस ने कई जगहों पर छापामारी कर साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है. पुलिस द्वारा मंतोष मंडल, बजरंगी पोद्दार और सुरेश मंडल को गिरफ्तार किया गया है, जबकि छापामारी की भनक लगते ही एक साइबर ठग मिथुन मंडल फरार होने में कामयाब हो गया. इसी तरह हरियाणा के फरीदाबाद में पुलिस ने एक नये ई-सिम फिशिंग रैकेट के बारे में जो जानकारी दी है उसके मुताबिक पंजाब, हरियाणा, बिहार, पश्चिम बंगाल और झारखंड में 300 से अधिक राष्ट्रीयकृत और निजी बैंक खातों तक पहुंचने के लिए इस तरीके का उपयोग किया गया है.

द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार फरीदाबाद पुलिस ने पांच अपराधियों को गिरफ्तार किया है. पुलिस को अभी तक इसकी जानकारी नहीं मिल पायी है कि इसके जरिए कितने रुपये की धोखाधड़ी हुई है. ई-सिम धोखाधड़ी वाले एक रैकेट के पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इन पांच में से चार जामताड़ा के हैं. फरीदाबाद के पुलिस आयुक्त ओ पी सिंह ने कहा कि ये मामला अनोखा है. इसमें मुख्य रूप से ई-सिम का उपयोग होता है. शुरुआती जांच में यह बात सामने आयी है कि बैंक और टेलीकॉम कंपनियों की ओर से भी लापरवाही बरती जा रही है.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार मामले की जांच कर रहे अधिकारियों ने कहा कि अपराधियों ने पीड़ितों का ई-सिम प्राप्त करने के बाद बैंक खातों पर नियंत्रण पाने की बात कबूल ली है. कई मामलों में ICICI बैंक इन अपराधियों के निशाने पर रहा है. ये उसके डेस्कटॉप वेबसाइट से लोगों को ठगी का शिकार बनाते हैं और अक्सर ये फोन नंबर एयरटेल के होते हैं. इतना ही नहीं ये फंड फोनपे, ओला मनी, पेटीएम पेमेंट्स बैंक और एयरटेल पेमेंट्स बैंक के वॉलेट से ट्रांसफर किये गये थे.

Posted By : Guru Swarup Mishra

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