रांची के रंगकर्मी: पांच दशक से ऑर्केस्ट्रा के मंचों पर आवाज का जादू बिखेर रहे हैं रांची के पराग भूषण
Ranchi Ke Rangkarmi: पराग भूषण ने शास्त्रीय और सुगम संगीत की शिक्षा पंडित रघुवर मिश्र से ली और प्रभाकर किया. आकाशवाणी रांची में युववाणी, सुगम संगीत के कार्यक्रम के नियमित कलाकार रहे. खुद गाना भी लिखते रहे हैं. इनके रचित गानों के प्रशंसकों की भी लंबी फेहरिस्त है.
Ranchi Ke Rangkarmi: पिछले पांच दशक से रांची के ऑर्केस्ट्रा में संगीत का जादू बिखेर रहे पराग भूषण सहाय (Parag Bhushan Sahay) झारखंड के नामचीन गायकों में शुमार हैं. पराग भूषण ने 70 के दशक में रांची के पहले ऑर्केस्ट्रा ग्रुप जन जागृति संगम से बतौर बाल कलाकार संगीत की दुनिया में कदम रखा था. उस समय के दिग्गज कलाकार भी इनकी गायिकी के मुरीद थे.
पराग भूषण ने पंडित रघुवर मिश्र से ली सुगम संगीत की शिक्षा
श्री सहाय ने शास्त्रीय और सुगम संगीत की शिक्षा पंडित रघुवर मिश्र से ली और प्रभाकर किया. आकाशवाणी रांची में युववाणी, सुगम संगीत के कार्यक्रम के नियमित कलाकार रहे. खुद गाना भी लिखते रहे हैं. इनके रचित गानों के प्रशंसकों की भी लंबी फेहरिस्त है. आकाशवाणी के कार्यक्रम युववाणी में उद्घोषक भी रहे और आकाशवाणी द्वारा आयोजित सुगम संगीत प्रतियोगिता में संयुक्त बिहार का प्रतिनिधित्व करते हुए विजेता बने.
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पराग की प्रस्तुति से मंत्रमुग्ध हो जाते थे श्रोता
उन्होंने मुंबई में उमंग कुमार, फिल्म कलाकार सचिन और कृतिका देसाई के साथ भी कार्यक्रम किये. रांची के प्रतिष्ठित बुल्लू पापा ऑर्केस्ट्रा ग्रुप, मलय का आवर्स ऑर्केस्ट्रा ग्रुप सहित अलग-अलग ऑर्केस्ट्रा ग्रुप से जुड़कर झारखंड, बिहार व नेपाल के काठमांडू में कार्यक्रम पेश किया. गजल, भजन, कव्वाली, डिस्को, नये-पुराने फिल्मी गीतों की प्रस्तुति से लोगों को मंत्रमुग्ध कर देते थे.
बहन के साथ संगीत की बारीकियों पर किया काम
इन दिनों पराग म्युजिकल ग्रुप का संचालन कर रहे हैं. पराग बताते हैं कि शुरुआती दिनों में जन जागृति संगम के अखौरी रवि कुमार, शेखर, हेमंत गुप्ता, स्वरूप, सज्जन केडिया व जानी-मानी पार्श्व गायिका नीलिमा ठाकुर का साथ व उन्हें सहयोग मिला. दिनेश जी के मार्गदर्शन में स्टेज पर गायिकी शुरू की. बहन अनुराग के साथ संगीत की बारीकियों पर काम किया और अपनी गायिकी को और मांजने का प्रयास करते रहे.
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