PHOTOS: क्रिसमस ट्री और स्टार से रांची का बाजार हुआ गुलजार, तरह-तरह के सामान और उपहार हैं उपलब्ध

आगमन काल का दूसरा रविवार बीतते ही बाजारों में क्रिसमस की तैयारी दिखाई देने लगी है. क्रिसमस से संबंधित तरह-तरह के सामान और उपहार से दुकानें सज गयी हैं. नये- नये डिजाइन के क्रिसमस ट्री से लेकर स्टार, डेकोरेटिव बेल, डेकोरेटिव बॉल, झालर, सांता क्लॉज, क्रिसमस कार्ड आदि नजर आ रहे हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 7, 2022 12:43 PM
undefined
Photos: क्रिसमस ट्री और स्टार से रांची का बाजार हुआ गुलजार, तरह-तरह के सामान और उपहार हैं उपलब्ध 7

क्षेत्रीय ईश शास्त्र अध्ययन केंद्र, तरुणोदय कांके के निदेशक फादर फ्रांसिस मिंज ने क्रिसमस से जुड़ीं कई परंपराओं की जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि क्रिसमस की चरनी बनाने का प्रचलन तो कला के रूप में चौथी सदी से प्रचलित हुआ. ख्रीस्तीय अपनी दीवारों, पत्थरों व मिस्सा के परिधानों पर चरनी की पेंटिंग करते थे. क्रिसमस के धर्मानुष्ठान में प्रयुक्त लैटिन भाषा को आम जनता नहीं समझती थी. इसलिए असीसी के संत फ्रांसिस ने इटली के ग्रास्सियो नामक शहर में 1223 ई में यीशु के जन्म को जीवंत चरनी का रूप दिया. उन्होंने ईसा मसीह के जन्म को भक्तिमय ढंग से दर्शाने के लिए मनुष्य, जानवर, भेड़ व अन्य जानवरों को रख कर कर जीवंत चरनी बनायी.

Photos: क्रिसमस ट्री और स्टार से रांची का बाजार हुआ गुलजार, तरह-तरह के सामान और उपहार हैं उपलब्ध 8

बाजार में क्रिसमस स्टार 15 से 300 रुपये व सांता क्लॉज 150 से 1200 रुपये में मिल रहे हैं. 50 रुपये में छह सांता क्लॉज का एक छोटा सेट भी उपलब्ध है. इसके अलावा सांता क्लॉज मास्क पांच से 250 रुपये में उपलब्ध है. वहीं, डेकोरेटिव बेल या बेल झूमर की कीमत 15 से 1700 रुपये तक है. ये क्रिसमस ट्री को सजाने के काम में आते हैं. डेकोरेटिव बॉल 30 से 250 रुपये के पैकेट में उपलब्ध है. स्टेंसिल या झालर 40 से 100 रुपये की शृंखला में उपलब्ध है. यहां चरनी के लिए प्रतिमाएं भी मिल रही हैं, जिनकी कीमत 350 से लेकर 1350 रुपये तक है. क्रिसमस कार्ड की रेंज आठ से 200 रुपये तक है.

Photos: क्रिसमस ट्री और स्टार से रांची का बाजार हुआ गुलजार, तरह-तरह के सामान और उपहार हैं उपलब्ध 9

ब्रितानी तथा केल्ट जातियों में चिरहरित वृक्ष अर्चना की परंपरा थी. इसे उन्होंने क्रिसमसोत्सव में भी शामिल किया. बाद में 15वीं सदी में क्रिसमस ट्री की शुरुआत जर्मनी में हुई. इसमें शांति व मेल-मिलाप के प्रतीक मिस्लटो नामक बांदा का व्यवहार होता था. इसे घर के बाहर अदन वाटिका के रूप में सजाया जाता था और पेड़ पर सेव के फल लगाये जाते थे. बाद में इस पेड़ को आनेवाले मुक्तिदाता का प्रतीक मानकर घर के अंदर लगाया जाने लगा और उसपर यीशु की उपस्थिति के प्रतीक होस्तिया (मिस्सा में प्रयुक्त रोटी) को चिपकाया जाता था. बाद में होस्तिया की जगह तारे, घंटी, स्वर्गदूत और फूल इत्यादि लगाये जाने गये. ये सभी ईश्वर की उपस्थिति के प्रतीक हैं.

Photos: क्रिसमस ट्री और स्टार से रांची का बाजार हुआ गुलजार, तरह-तरह के सामान और उपहार हैं उपलब्ध 10

क्रिसमस पर अपने घरों को अंदाज में सजाने को लेकर युवाओं में भी खासा उत्साह है. बहू बाजार में धार्मिक साहित्य की एक दुकान में क्रिसमस ट्री की शृंखला उपलब्ध है. आशीष जॉन ने बताया कि क्रिसमस ट्री की बड़ी रेंज है, जिसमें प्लेन पाइन ट्री, स्नो पाइन ट्री, थाइवान ट्री, वाइट ट्री, रेड ट्री, डॉट पाइन ट्री आदि शामिल हैं.

Photos: क्रिसमस ट्री और स्टार से रांची का बाजार हुआ गुलजार, तरह-तरह के सामान और उपहार हैं उपलब्ध 11

पाइन ट्री 90 सेमी की पाइन ट्री 550 रुपये,120 सेमी की एक से डेढ़ हजार,150 सेमी की 2000, 210 सेमी की 3600, 240 सेमी की 5000 और 300 सेमी की पाइन ट्री 6500 में उपलब्ध है. स्नो पाइन ट्री 90 सेमी की स्नो पाइन ट्री 650 रुपये, 120 सेमी की 1500, 180 सेमी की 3000 और 240 सेमी की स्नो पाइन ट्री 5500 रुपये में उपलब्ध है. वाइट ट्री 150 सेमी की वाइट क्रिसमस ट्री 2500 व 180 सेमी की ट्री 3500 में उपलब्ध है. रेड ट्री 150 सेमी वाली रेड ट्री की कीमत 2500 रुपये है. डॉट पाइन ट्री 50 सेमी की डॉट पाइन क्रिसमस ट्री 2500 रुपये व 180 सेमी की ट्री 2600 में उपलब्ध है. नॉर्मल ट्री 180 सेमी की नॉर्मल क्रिसमस ट्री 675 और 180 सेमी की नॉर्मल ट्री 800 रुपये में मिल हरी है.

Photos: क्रिसमस ट्री और स्टार से रांची का बाजार हुआ गुलजार, तरह-तरह के सामान और उपहार हैं उपलब्ध 12

ब्रितानी तथा केल्ट जातियों में चिरहरित वृक्ष अर्चना की परंपरा थी. इसे उन्होंने क्रिसमसोत्सव में भी शामिल किया. बाद में 15वीं सदी में क्रिसमस ट्री की शुरुआत जर्मनी में हुई. इसमें शांति व मेल-मिलाप के प्रतीक मिस्लटो नामक बांदा का व्यवहार होता था. इसे घर के बाहर अदन वाटिका के रूप में सजाया जाता था और पेड़ पर सेव के फल लगाये जाते थे. बाद में इस पेड़ को आनेवाले मुक्तिदाता का प्रतीक मानकर घर के अंदर लगाया जाने लगा और उसपर यीशु की उपस्थिति के प्रतीक होस्तिया (मिस्सा में प्रयुक्त रोटी) को चिपकाया जाता था. बाद में होस्तिया की जगह तारे, घंटी, स्वर्गदूत और फूल इत्यादि लगाये जाने गये. ये सभी ईश्वर की उपस्थिति के प्रतीक हैं.

Next Article

Exit mobile version