उत्तम महतो, रांची :
आम जनता के पैसों की बर्बादी कोई रांची नगर निगम से सीखे. मिसाल के तौर पर नगर निगम ने करोड़ों की लागत से विभिन्न कार्यों के लिए पर्याप्त संख्या में अलग-अलग वाहन खरीद रखे हैं. इसके बावजूद नगर निगम को किराये पर वाहन लेना पड़ रहा है, जिसके लिए हर माह करीब 38 लाख रुपये से ज्यादा चुकाये जा रहे हैं. इसकी दो वजहें हैं. पहला- जो वाहन खराब पड़े, उनकी मरम्मत नहीं करायी जाती है. दूसरा- कई ऐसे वाहन खरीद लिये गये हैं, जिनकी उपयोगिता न के बराबर है. यानी राजधानीवासी होल्डिंग टैक्स, कचरा यूजर चार्ज, ट्रेड लाइसेंस और वाटर टैक्स समेत विभिन्न प्रकार के टैक्स के रूप में हर साल जो करोड़ों रुपये चुकाते हैं, वह नगर निगम के पदाधिकारियों की लापरवाही से बर्बाद हो जा रहे हैं.
मौजूदा समय में रांची नगर निगम के पास खुद के 353 वाहन हैं. इनमें डोर-टू-डोर कचरा उठानेवाले 311 टाटा एस, 30 ट्रैक्टर, एक डंपर, चार जेसीबी, नाली सफाई के लिए दो सुपर सकर, चार एंटी स्मॉग गन, सात स्वीपिंग मशीन और 35 कॉम्पैक्टर शामिल हैं. इनमें से करीब 50 टाटा एस, चार जेसीबी, 20 कॉम्पैक्टर समेत कुछ अन्य वाहन खराब पड़े हुए हैं. ये वाहन बकरी बाजार स्टोर, नागाबाबा कचरा ट्रांसफर स्टेशन और हरमू एमटीएस में पड़े-पड़े कबाड़ हो रहे हैं.
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नगर निगम के ही कर्मी बताते हैं कि अगर कोई भी वाहन छोटी-मोटी खराबी के कारण एक बार खड़ा हो जाता है, उसकी दोबारा मरम्मत नहीं करायी जाती है. इन वाहनों की मरम्मत का जिम्मा नगर निगम के ट्रांसपोर्ट सेक्शन का है, लेकिन इसके पदाधिकारी खराब पड़े वाहनों की तरफ झांकते भी नहीं हैं.
राजधानी को धुंध और धूल से मुक्ति दिलाने के लिए रांची नगर निगम ने चार ‘एंटी स्मॉग गन’ खरीदे हैं. इधर, कांटाटोली-बहू बाजार मार्ग, रातू रोड से पिस्का मोड़ और ओवरब्रिज इलाके में फ्लाइओवर निर्माण की वजह से सुबह से रात तक धूल उड़ती रहती है. पर इन वाहनों का इस्तेमाल नहीं किया जाता, बल्कि ज्यादातर समय ये वाहन बकरी बाजार स्टोर में ही खड़े रहते हैं. कभी-कभार विशेष परिस्थिति में ही इन वाहनों को बाहर निकाला जाता है. यही हाल एंफीबियस एक्सकेवेटर का भी है. 3.15 करोड़ की यह मशीन पिछले तीन महीने से बड़ा तालाब में खड़ी है. इसके बावजूद तालाब की सफाई में इसका पूरा इस्तेमाल नहीं हो रहा है. इसकी बनावट भी ऐसी है कि बड़ा तालाब छोड़ कर किसी दूसरे तालाब में इसका उपयोग नहीं हो सकता है.
हाल ही में ट्रांसपोर्ट सेक्शन का प्रभार लिया है. जो भी वाहन खराब हालत में हैं, उनकी मरम्मत करायी जा रही है. हमारा भी प्रयास है कि निगम के अधिकतर वाहनों का उपयोग हो, ताकि राजस्व की बचत हो.
रवींद्र कुमार, उप प्रशासक
वाहन संख्या मासिक किराया (दर)
ट्रैक्टर 170 32.30 लाख (19 हजार)
पोकलेन 02 तीन लाख (1.5 लाख)
जेसीबी 04 तीन लाख (75 हजार)