अपना काम भूलकर वसूली में लगे रांची नगर निगम के इंफोर्समेंट अफसर, हरकतें ऐसी कि कहलाते हैं वर्दीवाला रंगदार
दुकानदारों ने इंफोर्समेंट अफसरों की अवैध वसूली से तंग आकर चुटिया थाने में शिकायत दर्ज करायी. हालांकि शहर में ऐसे पीड़ितों की संख्या सैकड़ों में है
रांची : शहर की मुख्य सड़कों के साथ-साथ गली-मोहल्लों को अतिक्रमण मुक्त रखने के लिए रांची नगर निगम ने 48 इंफोर्समेंट अफसरों को रखा है. इनके वेतन पर निगम सालाना 1.50 करोड़ रुपये खर्च करता है. पर निगम के ये अफसर अपना मूल काम छोड़ कर वसूली में लग गये हैं. शहर में इनकी छवि वसूली करनेवाले रंगदार के रूप में हो गयी है. इससे न सिर्फ निगम की छवि धूमिल हो रही है, बल्कि लोगों का विश्वास भी निगम के प्रति कम होता जा रहा है.
ऐसा ही एक मामला मंगलवार को चुटिया के कृष्णापुरी में सामने आया. यहां के दुकानदारों ने इंफोर्समेंट अफसरों की अवैध वसूली से तंग आकर चुटिया थाने में शिकायत दर्ज करायी. हालांकि शहर में ऐसे पीड़ितों की संख्या सैकड़ों में है. पर भय के कारण लोग इनके खिलाफ शिकायत दर्ज नहीं कराते हैं.
क्यों की गयी थी बहाली :
शहर को व्यवस्थित करने के लिए वर्ष 2017 में तत्कालीन नगर आयुक्त प्रशांत कुमार ने इंफोर्समेंट अफसरों की बहाली की थी. इन अफसरों को गली-मोहल्ले व प्रमुख सड़कों को अतिक्रमण मुक्त रखने की जिम्मेदारी दी गयी थी. डस्टबिन नहीं रखने वाले दुकानदारों व सड़कों पर बिल्डिंग मेटेरियल गिराने व गंदगी फैलानेवालों पर पर जुर्माना लगाने का अधिकार इन्हें दिया गया था. इसके अलावा व्यापार करने के लिए ट्रेड लाइसेंस व लॉज-हॉस्टल के लाइसेंस की जांच तथा सड़क पर अवैध रूप से लग रहीं दुकानों पर कार्रवाई का अधिकार दिया गया था.
पुलिस जैसी वर्दी पहनते हैं ये अफसर :
नगर निगम के इंफोर्समेंट अफसरों को पुलिस की तरह ही वर्दी दी गयी है. ये स्टार भी लगाते हैं. इनका व्यवहार पुलिस अफसरों की ही तरह है.
केस : एक
घर निर्माण के बदले लिये पैसे :
हटिया में एक व्यक्ति अपनी जमीन पर घर का निर्माण करा रहा था. अचानक इंफोर्समेंट अफसर पहुंचे और मकान का नक्शा दिखाने को कहा. मकान मालिक ने कहा कि उनके पास नक्शा नहीं है. पहले से बने एस्बेस्टस घर को तोड़ कर पक्का मकान बनवा रहे हैं. इस पर इंफोर्समेंट अफसर ने कहा कि निगम में रिपोर्ट करेंगे और अवैध निर्माण का केस दर्ज होगा. मकान मालिक की विनती पर इंफोर्समेंट अफसर ने उनसे 20 हजार रुपये में सौदा तय किया. पैसे लेकर अफसर चले गये.
केस : दो
अवैध निर्माण के लिए वसूली मोटी रकम : खेलगांव चौक के समीप गैरमजरूआ जमीन पर अवैध निर्माण किया जा रहा था. मोहल्लेवालों ने नगर निगम में इसकी शिकायत कर दी. इसके बाद नगर निगम की ओर से भवन मालिक को नोटिस जारी किया गया. इसके बाद एक माह तक काम बंद रहा. फिर इंफोर्समेंट अफसर मकान मालिक से मिले. मकान मालिक के समीप इन अफसरों ने कुछ शर्तें रखीं. भवन मालिक ने सारी शर्तें मान ली. नतीजा आज यह मकान बनकर तैयार हो गया है.
केस : तीन
फूड वैन से हर माह करते हैं वसूली :
शहर में नगर निगम के 31 पार्किंग स्थल हैं. नियम के अनुसार पार्किंग स्थल में वाहनों के अलावा कोई दूसरी चीज जैसे फूड वैन आदि नहीं लगनी चाहिए, लेकिन कांके रोड में एक मॉल के सामने नगर निगम के इंफोर्समेंट अफसर ही फूड वैन को लगाने का काम करते हैं. यहां रोजाना 20 से अधिक फूड वैन लगते हैं. बताया जाता है कि हर फूड वैन से प्रति माह तीन से पांच हजार रुपये की दर से नगर निगम के इंफोर्समेंट अफसर वसूली करते हैं.
केस : चार
नक्शा के बहाने की जाती है वसूली :
गाड़ी होटवार क्षेत्र में एक इंफोर्समेंट अफसर का आतंक फैला हुआ है. यहां बनने वाले किसी भी भवन की जांच करने यह अफसर पहुंच जाता है. स्थल पर पहुंच कर यह सबसे पहले भवन मालिक से नक्शा मांगता है. चूंकि यहां अधिकतर मकान एसटी जमीन पर बने हुए हैं, तो ज्यादातर लोगों के पास कोई नक्शा नहीं है. अंत में यह अफसर अवैध निर्माण का केस दर्ज करने की चेतावनी देता है. फिर वसूली कर मामला सलटा दिया जाता है.
केस : पांच
ट्रेड लाइसेंस जांच के नाम पर भयादोहन :
शहर के हर प्रतिष्ठान के लिए ट्रेड लाइसेंस अनिवार्य है. ट्रेड लाइसेंस नहीं होने पर 25 हजार जुर्माना वसूलने का नियम है. लेकिन, बिना लाइसेंस के चल रहीं दुकानों के संचालकों से अफसर भयादोहन कर वसूली करते हैं. ट्रेड लाइसेंस नहीं होने पर इंफोर्समेंट अफसर 25 हजार फाइन करने की प्रक्रिया शुरू करते हैं. जब दुकानदार कहता है कि इतना फाइन कहां से दे पायेंगे, तो फिर पांच से लेकर 10 हजार रुपये लेकर मामला सलटा लिया जाता है.
इंफोर्समेंट अफसर अगर किसी को धमकाते हैं या किसी से अवैध वसूली करते हैं, तो लोग इसकी लिखित शिकायत नगर निगम में कर सकते हैं. लोग पर्सनली मुझसे मिलकर भी अपनी समस्या रख सकते हैं. ऐसे अफसरों पर कार्रवाई करने में निगम विलंब नहीं करेगा.
कुंवर सिंह पाहन, अपर प्रशासक, नगर निगम