रांची : आमलोगों को शहर के अंदर खेलने-कूदने व टहलने के लिए ओपन स्पेस मिले, इसके लिए रांची नगर निगम द्वारा करोड़ों खर्च कर शहर की विभिन्न जगहों पर पार्क का निर्माण किया गया. लेकिन देखरेख के अभाव में अब पार्कों की स्थिति दिनोंदिन कबाड़ होती जा रही है. ताजा मामला शहर के पांच पार्कों से जुड़ा है. यहां पार्क का निर्माण तो कर दिया गया, लेकिन संचालक का चयन नहीं किये जाने के कारण अब तक पार्क में ताला लटका हुआ है. नतीजतन इन पार्कों का फायदा शहरवासियों को नहीं मिल रहा है.
हरमू स्थित वीर कुंवर सिंह पार्क का उदघाटन सीएम हेमंत सोरेन ने 25 अप्रैल को किया था. इस दौरान सीएम ने कहा था कि शहर कंक्रीट के जंगल में तब्दील हो रहा है. ऐसे में हमें प्रयास करना चाहिए कि शहर में हरियाली को बढ़ावा दें. आज इस पार्क के उदघाटन हुए छह माह होने को हैं, लेकिन अब तक इसमें ताला लटका हुआ है. नतीजजन लोग यहां घूमने-फिरने व टहलने के लिए आते तो हैं, लेकिन उन्हें बैरंग लौटना पड़ता है. इस पार्क के निर्माण में 1.50 करोड़ की राशि खर्च की गयी थी.
देखरेख के अभाव में पार्क में उग आयी झाड़ियां : विधायक सीपी सिंह के आवास के पास भी पार्क का निर्माण किया गया है. लेकिन देखरेख के अभाव में झाड़ियां उग आयी हैं. दिन भर इस पार्क में भी ताला लटका रहता है. इससे आसपास के लोगों को काफी मायूसी होती है. इस पार्क पर 20 लाख की राशि खर्च की गयी थी.
वार्ड नं 25 के हरमू हाउसिंग कॉलोनी में करोड़ों की लागत से लोकनायक जयप्रकाश नारायण पार्क का निर्माण कराया गया है. यहां बच्चों के खेलने-कूदने के लिए झूला सहित फूड कोर्ट भी है. लेकिन पिछले कई माह से इस पार्क में ताला लटका हुआ है. शहर के लोग जब यहां घूमने-टहलने के लिए आते हैं, तो उन्हें निराशा हाथ लगती है. इसके सौंदर्यीकरण पर 1.10 करोड़ की राशि खर्च की गयी थी.
हरमू स्थित न्याय पथ में सांसद संजय सेठ के फंड से श्यामा प्रसाद मुखर्जी पार्क का सौंदर्यीकरण कराया गया. 18 अक्तूबर 2022 को इसका उदघाटन हुआ था. उदघाटन के बाद कुछ दिनों तक पार्क आमलोगों के लिए खुला रहा. इसके बाद अब तक यहां ताला लटका हुआ है. इस पार्क पर 34 लाख रुपये की राशि खर्च की गयी थी.
कोकर डिस्टिलरी पुल के समीप रांची नगर निगम द्वारा स्वामी विवेकानंद पार्क का निर्माण वर्ष 2018 में कराया गया था. आज यह पार्क पूरी तरह से कबाड़ में बदल चुका है. जगह-जगह जंगली घास उग आये हैं. रोज शाम को यहां शराबियों व असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगता है. पार्क को देखने वाला कोई नहीं है. इस पार्क पर 1.90 करोड़ की राशि खर्च की गयी थी.
बंद पार्क आम लोगों के लिए खुले, इसके लिए कई बार निगम अधिकारियों के साथ पत्राचार किया. लेकिन अधिकारी अपनी ही धुन में रहते हैं. नतीजतन देखरेख के अभाव में ये पार्क धीरे-धीरे कबाड़ में तब्दील होते जा रहे हैं.
अरुण कुमार झा, निर्वतमान पार्षद, वार्ड 26