रांची, उत्तम महतो:
रांची नगर निगम अपनी इन्फोर्समेंट टीम पर सालाना डेढ़ करोड़ रुपये खर्च करता है. बदले में उसे सिर्फ 41 लाख रुपये का राजस्व हासिल मिलता है. इसके दो मायने हो सकते हैं, पहला – राजधानी को व्यवस्थित बनाये रखने के लिए स्थापित किया गया यह विंग सही तरीके से अपने दायित्व का निर्वहन नहीं कर रहा, दूसरा- रांची नगर निगम के पदाधिकारी ही इनसे काम नहीं ले पा रहे हैं.
राजधानी को अतिक्रमणमुक्त करने के लिए 48 इंफोर्समेंट अफसरों को हायर किया गया है. निगम हर साल इनके वेतन पर 88 लाख रुपये खर्च करता है. वहीं, टीम की ओर से अभियान चलाने के लिए हायर किये गये वाहन और तेल पर हुए खर्च को जोड़ दिया जाये, तो सालाना खर्च 1.49 करोड़ रुपये होता है. जबकि एक साल में इन्फोर्समेंट अफसरों ने अतिक्रमण हटाओ अभियान के नाम पर मात्र 41 लाख रुपये जुर्माना वसूला है.
मजे की बात यह है कि इन इन्फोर्समेंट अफसरों द्वारा अभियान चलाने के बावजूद आज भी शहर की ज्यादातर सड़कें अतिक्रमण की जद में हैं, जिसकी वजह से सुबह-शाम सड़कें जाम रहती हैं. शहरवासी नगर निगम को कोस रहे हैं, आरोप लगाते हैं कि इन्फोर्समेंट अफसरों का मूल काम सड़क किनारे दुकान लगवाना और पार्किंग में होटल चलवाना रह गया है. इन पर छोटे-छोटे फुटपाथ दुकानदारों को धमका कर अवैध वसूली करने का भी आरोप लगता रहा है.
शहर के गली-मोहल्ले में खुलेआम बिल्डिंग मेटेरियल डंप करनेवालों पर कार्रवाई करना
डस्टबीन नहीं रखनेवाले दुकानदारों से जुर्माना वसूलना और अतिक्रमण करने से रोकना
खुले में गंदगी फेंकने से रोकना और प्रतिबंधित पॉलीथिन के उपयोग पर रोक लगाना
नो पार्किंग में खड़े वाहनों को जब्त करना, अवैध तरीके से फुटपाथ दुकानें लगाने से रोकना
नगर निगम के इन्फोर्समेंट अफसरों को पुलिस जैसी खाकी वर्दी और डबल स्टार देने पर भी विवाद हुआ था. इससे लोग इन्हें पुलिस ही समझ बैठते हैं. इसको लेकर डीआइजी रांची ने भी नगर निगम को पत्र लिखकर पूछा था कि इन्हें किस हैसियत से खाकी वर्दी दी गयी है? नगर निगम ने जवाब दिया कि उनके इन्फोर्समेंट अफसर सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देश के अनुरूप ही काम करते हैं. हालांकि, वर्दी को बदलने को लेकर डीआइजी कार्यालय की ओर से अब तक किसी प्रकार का पत्र नगर निगम को नहीं भेजा गया है.