Ranchi news : झारखंड में ऊर्जा संरक्षण की ज्यादा जरूरत, सोलर सिटी गिरिडीह 12 मेगावाट की कर रहा बचत : केके वर्मा
होटल बीएनआर में समीक्षा प्लेटफॉर्म की 24वीं बैठक में उद्योग के ऊर्जा संरक्षण पर हुई चर्चा.
रांची. झारखंड में ऊर्जा संरक्षण की ज्यादा जरूरत है. पारंपरिक ऊर्जा से हटकर वैकल्पिक ऊर्जा पर ध्यान देने की जरूरत है. गिरिडीह सोलर सिटी में 3300 घरों में सौर ऊर्जा की वजह से 12 मेगावाट बिजली की बचत हो रही है. वहीं, यदि पूरे शहर को सोलर सिटी में तब्दील कर दिया जाये, तो 25 मेगावाट की बचत होगी. पर इसके लिए केंद्र को सोलर सिटी के लिए अनुदान देना होगा. उक्त बातें जेरेडा के निदेशक केके वर्मा ने कही. वह शुक्रवार को होटल बीएनआर में समीक्षा प्लेटफॉर्म की 24वीं बैठक को संबोधित कर रहे थे. बैठक में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों (एमएसएमइ) के कई प्रतिनिधियों ने भाग लिया. समीक्षा प्लेटफॉर्म की स्थापना 2010 में ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी (बीइइ), स्विस एजेंसी फॉर डेवलपमेंट एंड कोऑपरेशन (एसडीसी), टेरी और एमएसएमइ मंत्रालय के संयुक्त प्रयासों से की गयी थी. इस प्लेटफॉर्म की बैठक पहली बार झारखंड में आयोजित की गयी. श्री वर्मा ने कहा कि सौर ऊर्जा प्लांट लगाने का भार उपभोक्ताओं पर नहीं दिया जाना चाहिए. बिजली के बाबत उन्होंने कहा कि एसी के इस्तेमाल पर भी सोचना होगा. गर्मी में 60 प्रतिशत बिजली की खपत केवल एसी की वजह से होती है.
ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देने की योजनाओं पर प्रकाश डाला
बीइइ के निदेशक श्याम सुंदर ने भारत में ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देने की योजनाओं का विस्तृत विवरण दिया, जिसमें एमएसएमइ को स्वच्छ तकनीकों को अपनाने के लिए ब्याज अनुदान प्रदान करने की नयी योजना भी शामिल है. एमएसएमइ-विकास कार्यालय, रांची के संयुक्त निदेशक एवं कार्यालय प्रमुख इंद्रजीत यादव ने इस क्षेत्र के समग्र प्रदर्शन में सुधार लाने के लिए उनके विभाग द्वारा किये जा रहे प्रयासों पर प्रकाश डाला. जेरेडा के परियोजना निदेशक विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि पीएम कुसुम योजना में 2200 किसानों को लाभ मिला है. 54 मेगावाट बिजली की बचत हो रही है.एमएसएमइ देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़
चेंबर अध्यक्ष परेश गट्टानी ने कहा कि एमएसएमइ देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. देश के जीडीपी में एमएसएमइ का 30 प्रतिशत योगदान है. 200 मिलियन लोगों को रोजगार मिला हुआ है. उन्होंने कहा कि एमएसएमइ उद्योगों को बिजली बचत पर ध्यान देना चाहिए. टेरी के प्रतिनिधि गिरीश सेठी और आनंद मोहन घोष ने बताया कि आज की वैश्विक प्रतिस्पर्धा के दौर में भारतीय एमएसएमइ के लिए अपने उत्पादन प्रक्रियाओं की ऊर्जा दक्षता में सुधार करना अत्यंत आवश्यक है. ऊर्जा दक्ष तकनीकों की उपलब्धता के बावजूद, एमएसएमइ में तकनीकी सहायता सेवाओं की कमी और नयी या उन्नत मशीनरी के लिए पूंजी जुटाने में असमर्थता के कारण इनका समुचित उपयोग नहीं हो पा रहा है. कार्यक्रम में भारत और झारखंड सरकार के विभिन्न विभागों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया. एमएसएमइ के सहायक निदेशक गौरव ने धन्यवाद ज्ञापन दिया.
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