Ranchi news : पेसा कानून को लेकर एकजुट होकर प्रयास करने पर दिया गया जोर
अनुसूचित क्षेत्र, नगरपालिका व पेसा कानून पर विचार-विमर्श किया गया. ग्लैडसन डुंगडुंग ने कहा कि आदिवासी समुदाय को बांटने की कोशिश हो रही है.
रांची. आदिवासी क्षेत्र सुरक्षा परिषद के तत्वावधान में शुक्रवार को अनुसूचित क्षेत्र, नगरपालिका और पेसा कानून पर विचार-विमर्श किया गया. पुरुलिया रोड स्थित एसडीसी सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में रांची व खूंटी के आदिवासी समुदाय के बुद्धिजीवी व सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हुए. विमर्श के दौरान प्रतिभागियों ने कहा कि झारखंड के अनुसूचित क्षेत्रों में पेसा कानून 1996 को पूर्ण रूप से लागू करने के लिए एकजुट होकर प्रयास किया जायेगा. साथ ही जेपीआरए 2001 के प्रावधानों का विरोध करते हुए पेसा कानून के समर्थन में विभिन्न समूहों के साथ मिलकर आंदोलन करने का संकल्प लिया गया.
पेसा और पी-पेसा के बीच के अंतर को स्पष्ट किया
आदिवासी क्षेत्र सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष ग्लैडसन डुंगडुंग ने पेसा और पी-पेसा के बीच के अंतर को स्पष्ट किया और जेपीआरए 2001 को असंवैधानिक करार दिया. ग्लैडसन ने सुप्रीम कोर्ट और हाइकोर्ट में पेसा से संबंधित मामले और उनके निर्णयों पर भी प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि आदिवासी समुदाय को बांटने की कोशिश हो रही है. कानून के विशेषज्ञ डॉ रामचंद्र उरांव ने पेसा कानून 1996 और जेपीआरए 2001 के प्रावधानों की विस्तार से व्याख्या की. उन्होंने कहा कि पेसा कानून विशेष रूप से अनुसूचित क्षेत्रों के लिए बनाया गया है, जबकि जेपीआरए 2001 सामान्य क्षेत्रों के लिए है. उन्होंने कहा कि विशेष कानूनों के होते हुए सामान्य कानूनों को लागू नहीं किया जा सकता.
आदिवासी समुदाय को बांटने की कोशिश की गयी
साहित्यकार जोसेफ बाड़ा ने कहा कि झारखंड में बाहर से आनेवाले मुगलों, अंग्रेजों सहित अन्य लोगों ने लगातार आदिवासी समुदाय को बांटने की कोशिश की है. सामाजिक कार्यकर्ता लक्ष्मी नारायण मुंडा ने कहा कि झारखंड सरकार द्वारा बनाया पेसा कानून शिड्यूल एरिया में लागू नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि जेपीआरए सामान्य क्षेत्रों के लिए है, न कि शिड्यूल क्षेत्रों के लिए. उन्होंने कहा कि ऐसा प्रतीत हो रहा है कि सरकार गांव के लोगों को अधिकार नहीं देना चाह रही है. पूर्व आइएफएस अधिकारी रोबर्ट मिंज ने पेसा नियमावली लागू करने की आवश्यकता पर बल दिया. कलावती खड़िया और दुर्गावती ओड़ेया ने आदिवासी समाज में पारंपरिक व्यवस्थाओं की प्रासंगिकता और उनके संरक्षण पर जोर दिया. सामाजिक कार्यकर्ता सुषमा बिरुली ने आदिवासियों से एकजुट होने का आह्वान किया. रेजन गुड़िया ने सरकार की लैंड बैंक योजना और गैर-आदिवासियों द्वारा आदिवासी क्षेत्रों पर कब्जे के मुद्दे पर प्रकाश डाला. मौके पर प्रेमचंद मुर्मू, विक्टर मालतो सहित अन्य लोग मौजूद थे.
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