जनजातीय और क्षेत्रीय भाषा की विभागाध्यक्ष डॉ सविता केशरी हुईं सेवानिवृत, बोलीं- छात्रों के लिए खुला रहेगा उनका दरवाजा

Ranchi News: जनजातीय और क्षेत्रीय भाषा संकाय की एचओडी डॉ सविता केशरी को शुक्रवार को विदाई दी गयी. विभाग के लोगों ने उनके योगदान को लेकर सराहना की है.

By Sameer Oraon | January 31, 2025 8:52 PM

रांची : जनजातीय और क्षेत्रीय भाषा संकाय, रांची विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर नागपुरी विभाग में पदस्थापित विभागाध्यक्ष डॉ सविता केशरी के सेवानिवृत्ति के बाद विभागीय परिसर में विदाई सह सम्मान समारोह का आयोजन किया गया. रांची विवि के टीआरएल विभाग ने कहा कि विश्वविद्यालय परिवार उनके योगदान को हमेशा याद रखेगा.

प्रो त्रिवेणी नाथ साहू बोले- डॉ सविता केशरी का योगदान प्रेरणास्त्रोत

टीआरएल विभाग के पूर्व कुलपति प्रो त्रिवेणी नाथ साहू ने कहा कि डॉ सविता केशरी की कुशल कार्यक्षमता और उत्कृष्ट योगदान हमारे लिए प्रेरणास्त्रोत हैं. वे सेवानिवृत्त जरूर हुई हैं, पर सेवा के दायित्वों से नहीं. दरअसल वे शुक्रवार को विभागाध्यक्ष के विदाई समारोह को संबोधित कर रहे थे.

डॉ सविता केशरी हुई भावुक

सेवानिवृत प्राध्यापक डॉ सविता केशरी ने भी लोगों को संबोधित किया. वे लोगों को संबोधित करते हुए भावुक हो गयी. उन्होंने कहा कहा कि वे सेवानिवृत्त जरूर हुई हैं पर सेवा के दायित्वों से नहीं. वे हमेशा बच्चों के अभिभावक से उन्हें आगे की पढ़ाई के लिए प्रेरणा देती रहेंगी. उनका दरवाजा हमेशा छात्रों के लिए खुला रहेगा. जब भी कोई मदद महसूस करें, बिना संकोच के वे उनके लिए उपलब्ध रहेंगी.

डॉ हरि उरांव बोले- डॉ सविता केशरी का प्रदर्शन अनुकरणीय

टीआरएल संकाय के पूर्व समन्वयक डॉ हरि उरांव ने कहा कि डॉ सविता केशरी ने अपने कार्यकाल में जिस तरह बेहतर प्रदर्शन किया, वह हमेशा अनुकरणीय है. वहीं, पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ उमेश नन्द तिवारी ने भी डॉ सविता केशरी के साथ बिताये पल को साझा करते हुए कहा कि एक अभिभावक के रूप में उनका जो मार्गदर्शन मिला उसे हमेशा याद किया जायेगा.

विदाई समारोह में ये लोग रहे उपस्थित

टीआरएल संकाय के शिक्षक शिक्षिकाओं ने डॉ सविता केसरी को विदाई दी और उन्हें पुष्पमाला पहनाकर उनके सेवाकाल की चर्चा कर उन्हें सम्मानित भी किया गया. इस मौके पर मेजर डॉ महेश्वर सारंगी, डॉ वृन्दावन महतो, मनय मुण्डा, डॉ गीता कुमारी सिहं, डॉ कुमारी शशि, डॉ खलिक अहमद, डॉ बीरेंद्र कुमार महतो समेत कई शिक्षक, शोधार्थी और छात्र -छात्राएं उपस्थित थे.

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