HEC के अधिकारियों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से की ‘मदर ऑफ ऑल इंडस्ट्रीज’ को बचाने की गुहार
एचईसी आंदोलन के 78 दिन बीत चुके हैं. वे अपनी मांगों के समर्थन में इतने दिनों से शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे हैं. उन्हें उम्मीद है कि राष्ट्रपति उनकी अपील पर जरूर गौर करेंगी और कर्मचारियों एवं अधिकारियों के लंबित वेतन के साथ-साथ देश की धरोहर एचईसी को बचाने के लिए निश्चित रूप से कार्रवाई करेंगी.
झारखंड की राजधानी रांची के धुर्वा में स्थित मदर ऑफ ऑल इंडस्ट्रीज (मातृ उद्योग) हेवी इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन (एचईसी) को बचाने की गुहार राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से लगायी है. एचईसी के अधिकारियों ने मंगलवार को महामहिम को एक पत्र लिखा, जिसमें एचईसी की दुर्गति के बारे में विस्तार से बताया गया है. साथ ही यह भी बताया गया है कि इस अहम संस्थान के कर्मचारियों को 14 महीने से वेतन का भुगतान नहीं किया गया है. इसकी वजह से अधिकारी और कर्मचारी विषम परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं.
78 दिन से शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे हैं एचईसी के अधिकारी
एचईसी के अधिकारी और कर्मचारियों के आंदोलन के 78 दिन बीत चुके हैं. वे अपनी मांगों के समर्थन में शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे हैं. उन्हें उम्मीद है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू उनकी अपील पर जरूर गौर करेंगी और कर्मचारियों एवं अधिकारियों के लंबित वेतन के साथ-साथ देश की धरोहर एचईसी को बचाने के लिए निश्चित रूप से कार्रवाई करेंगी. बता दें कि एचईसी के अधिकारियों को 14 माह से वेतन नहीं मिला है. वहीं, कर्मचारियों का 11 माह का लंबित है.
एशिया का एकमात्र मातृ उद्योग है एचईसी
महामहिम द्रौपदी मुर्मू को संबोधित पत्र में एचईसी के अधिकारियों ने लिखा है कि यह कंपनी भारत सरकार का उपक्रम है. यह इस्पात, खनन, रेलवे, बिजली, रक्षा, अंतरिक्ष अनुसंधान, परमाणु और रणनीतिक क्षेत्रों के लिए भारत में पूंजी उपकरणों का प्रमुख आपूर्तिकर्ता है. यह कॉन्सेप्ट टू कमीशनिंग से टर्न-की परियोजनाओं को भी निष्पादित करता है. वर्ष 1958 में स्थापित यह एशिया का एकमात्र मातृ उद्योग है. अपनी आधी शताब्दी की यात्रा में इस संस्थान ने उपरोक्त क्षेत्रों में विशेषज्ञता एवं अनेकानेक उपलब्धियां हासिल की है.
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अधिकारियों एवं प्रबंधन से कई बार हुई वार्ता, सब बेकार
अधिकारियों ने राष्ट्रपति को बताया है कि उन्होंने अपने अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक, निदेशकगण एवं अन्य वरीय पदाधिकारियों से लंबित वेतन भुगतान के लि कई बार बातचीत की, लेकिन उच्च प्रबंधन एवं भारी उद्योग मंत्रालय उन्हें किसी भी चीज के बारे में स्पष्ट जानकारी देने में विफल रहा. कहा कि वेतन नहीं मिलने से अधिकारियों एवं कर्मचारियों की दैनिक जरूरतें भी पूरी नहीं हो पा रहीं हैं.
किसी अप्रिय घटना के लिए सीएमडी और प्रबंधन होगा जिम्मेदार
हमलोग न तो अपना घर खर्च चला पा रहे हैं, न ही बच्चों के स्कूल की फीस दे पा रहे हैं. कई ऐसे अधिकारी और कर्मचारी हैं, जिनके परिवार में बुजुर्ग बीमार माता-पिता हैं, वे उनका इलाज तक कराने में असमर्थ हैं. पत्र में कहा या है कि अगले 30 दिन में लंबित वेतन भुगतान पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया जाता है और अधिकारी या कर्मचारी विषम परिस्थितियों में कोई अप्रिय कदम उठाते हैं, तो उसकी पूरी जिम्मेदारी एचईसी के सीएमडी एवं उच्च प्रबंधन, भारी उद्योग मंत्रालय और भारत सरकार की होगी.
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