रांची : रांची के जिला स्कूल मैदान में पुस्तक मेले का शुभारंभ हो गया है. इसका उद्घाटन राजसभा सांसद डॉ. महुआ माजी, रांची विधानसभा के विधायक सीपी सिंह ने किया. मौके पर पुस्तक के महत्व को बताते हुए डॉ. महुआ माजी ने कहा कि यदि किताबें नहीं होतीं, तो हम अपनी परंपरा, संस्कृति और ज्ञान संपदा को नहीं जान पाते. इसलिए व्यक्ति को पुस्तकों से हमेशा जुड़े रहना चाहिए. क्योंकि ये हमारा सच्चा मित्र ही नहीं बल्कि हमारे सुख दुख का साथी भी है. इस अवसर पर तीन पुस्तकों का लोकार्पण भी हुआ. साथ ही साथ अतिथियों ने पुस्तक मेला परिसर का भ्रमण कर स्टॉल्स पर लगे पुस्तकों का अवलोकन किया.
पुस्तक लिखने के लिए संयम और साधना की जरूरत: सीपी सिंह
राष्ट्रीय पुस्तक मेले के उद्घाटन पर विधायक सीपी सिंह ने भी लोगों को संबोधित किया. उन्होंने पुस्तकों को व्यक्ति के व्यक्तित्व निर्माण का महत्वपूर्ण हिस्सा बताया. उन्होंने कहा कि पुस्तक लिखना आसान नहीं है, इसमें बहुत साधना और संयम की जरूरत होती है. मुझे कोई किताब लिखने को कहे तो मेरे लिए मुश्किल होगी. उन्होंने पुस्तक पठनीयता पर बोलते हुए कहा कि आज के दौर में पुस्तकें पढ़ने वाले कम हो रहे हैं. लेकिन इस तरह के आयोजन से पठनीयता बढ़ती है. लोग किताबों के करीब आते हैं और उनकी इसमें रूचि जगती है.
मौके पर ये लोग भी रहे मौजूद
समय इंडिया के प्रबंध न्यासी चंद्र भूषण ने स्वागत वक्तव्य देते हुए कहा कि रांची में जारी पुस्तक मेला की परंपरा पुस्तक आंदोलन का हिस्सा है. उन्होंने पुस्तक प्रेमियों से अपील की है कि वे अधिक से अधिक संख्या में मेले में पहुंचे और पुस्तक खरीदें. इससे पहले उन्होंने मौके पर उपस्थित अतिथियों को शॉल ओढ़ाकर स्वागत किया. इस अवसर पर शहर के बुद्धिजीवी, संस्कृति प्रेमी, पत्रकार और पुस्तक प्रेमी उपस्थित रहे. इनमें डॉ. जंगबहादुर पांडे, डॉ. गोवर्धनपुरी, डॉ. ममता, मनीष सिन्हा, डॉ. कुसुमलता, वीणा श्रीवास्तव आदि प्रमुख थे.
तीन पुस्तकों का हुआ लोकार्पण
पुस्तक मेले में स्थानीय वरिष्ठ कथाकार उर्मिला सिन्हा की दो नवीनतम कथाकृतियां ‘एक जोड़ी आँखें’ और ‘यादों की पोटली’ का लोकार्पण मुख्य अतिथि राज्यसभा सांसद महुआ माजी और विधायक सी.पी. सिंह ने किया. इसके अतिरिक्त अशोक बंका की कहानी संग्रह ‘सरहुल’ का लोकार्पण हुआ.