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Ranchi news : पीटीआर में रखी जा सकती है नील गाय, वन विभाग डब्ल्यूएलआइ से करा रहा अध्ययन

नीलगाय से परेशान हैं पलामू प्रमंडल के किसान. पलामू में 500 एकड़ में लगी फसलों को नील गाय बर्बाद कर दे रही है.

By Prabhat Khabar News Desk | January 29, 2025 8:20 PM
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मनोज सिंह, रांची. पलामू प्रमंडल में नील गाय बड़ी समस्या है. नील गाय किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचा रही है. स्थानीय लोगों ने इससे बचाव का आग्रह कई बार प्रशासन से किया है. पहले इसको लेकर विवाद था कि नील गाय पशुपालन विभाग की है या वन विभाग की. लेकिन, वन विभाग ने अब नील गाय की समस्या से स्थायी समाधान देने के उपाय पर काम करना शुरू कर दिया है. इसके लिए वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (डब्ल्यूएलआइ) के विशेषज्ञों से अध्ययन करा रहा है. अध्ययन की रिपोर्ट पर आगे की कार्रवाई होगी. इसको पलामू टाइगर रिजर्व (पीटीआर) एरिया में रखने की तैयारी हो रही है.

गढ़वा-पलामू में है विशेष असर

गढ़वा-पलामू में नीलगायों का विशेष असर है. जानकार बताते हैं कि केवल पलामू में 500 एकड़ में लगी फसलों को नील गाय बर्बाद कर दे रही है. इस कारण कई किसानों ने खेती करना भी छोड़ दिया है. नीलगायों के कारण गढ़वा जिले के उत्तरी क्षेत्र में रबी फसल की खेती पूरी तरह बंद होने के कगार पर है. गढ़वा जिला मुख्यालय से सटे बंडा और लहसुनिया जैसी पहाड़ी व इससे सटे गांवों व शहर के कुछ हिस्सों में सैकड़ों की संख्या में नीलगाय हैं. ये रात के अलावा दिन में भी फसलों को बर्बाद कर रहे हैं. गढ़वा जिले के उत्तरी क्षेत्र के एक दर्जन प्रखंडों में नीलगायों का आतंक है. नीलगायों का झुंड न सिर्फ फसलों को चर जाता है, बल्कि उसे रौंदकर बर्बाद भी कर देता है. किसानों द्वारा फसलों को बचाने के लिए लगायी जानेवाली बाड़ भी नीलगायों को नहीं रोक पाती. गढ़वा जिले के उत्तरी क्षेत्र स्थित कांडी, बरडीहा, मझिआंव, विशुनपुरा, भवनाथपुर, केतार, खरौंधी, मेराल व गढ़वा प्रखंड में नीलगाय सबसे ज्यादा फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं.

इलाके में कैसे आयी नीलगाय

इलाके में नीलगायों का आगमन बहुत पुराना नहीं है. करीब दो दशक पहले जिले में नीलगाय कांडी प्रखंड की सोन व कोयल नदी पार कर बिहार से पहुंची है. दो दशकों में ही यह झारखंड के इस हिस्से की बड़ी समस्या बन गयी है. शुरू में किसानों ने नीलगायों की उपस्थिति को गंभीरता से नहीं लिया.

बोले अधिकारी

नील गाय से पलामू प्रमंडल के लोग परेशान हैं. नील गाय भी वन्य प्राणी है. इसको पलामू टाइगर रिजर्व एरिया में रखने की तैयारी हो रही है. इसके असर और प्रभाव का अध्यक्ष वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया से कराया जा रहा है. अगर नील गाय रखने से पलामू टाइगर रिजर्व को नुकसान नहीं होगा, तो अभियान चलाकर नील गाय को पीटीआर में लाया जायेगा.

सत्यजीत सिंह, पीसीसीएफ (हॉफ), वन विभागB

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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