वरीय संवाददाता (रांची).
दिल्ली पुलिस का अफसर बनकर एक साइबर फ्रॉड ने रांची के एक प्रतिष्ठित संस्थान के प्रोफेसर को व्हाट्सऐप कॉल किया. कहा आपने मनी लाउंड्रिंग की है. आपके खिलाफ पुख्ता सबूत है. अब आपकी गिरफ्तारी तय है. इससे बचना चाहते हैं, तो जैसा बोल रहा हूं, वैसा करें. इससे प्रोफेसर काफी डर गये. फिर करीब एक माह तक बैंक जाकर अपने अलग-अलग अकाउंट से साइबर फ्रॉड के अलग-अलग खातों में कुल 1.78 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर दिया. एक दिन अखबार में साइबर फ्राॅड की खबर पढ़ने के बाद इन्हें पता चला कि फोन कर जांच एजेंसियों के अधिकारी बनकर साइबर फ्रॉड लोगों की गाढ़ी कमाई लूट ले रहे हैं. इसके बाद इन्हें पता चला कि वे भी साइबर फ्राॅड के शिकार हो गये. इससे वे सदमे में हैं. इस तरह के साइबर फ्रॉड को डिजिटल अरेस्ट कहा जाता है. इस मामले में प्रोफेसर रांची के सीआइडी की साइबर थाना में प्राथमिकी दर्ज करायी है. इस मामले के तार भी चीन से जुड़ गये हैं.रांची में कई लोग हो चुके हैं ठगी के शिकार :
साइबर अपराधी सीबीआइ, दिल्ली पुलिस व ट्राई के बड़े अफसर बन कर लोगों को व्हाट्सऐप कॉल करते हैं. सामनेवाले को यकीन दिलाने के लिए वे व्हाट्सऐप की डीपी में अधिकारियों की तसवीर व विभाग का लोगो लगाकर रखते हैं. साइबर अपराधी कॉल रिसीव करनेवाले को गंभीर मामला दर्ज होने और वारंट निकलने की धमकी देते हैं. कहते हैं कि बचना चाहते हैं, तो जितना कहा जा रहा है, उतना पैसा बताये हुए कॉरपोरेट अकाउंट नंबर पर ट्रांसफर कीजिए. इस तरीके से रांची के रिटायर्ड आइएएस, डॉक्टर, सेना के रिटायर्ड अफसर सहित अन्य लोगों से 10 से लेकर 86 लाख रुपये तक की ठगी का मामला सामने आ चुका है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है