रांची रेलवे स्टेशन के बगलाशिव संकटमोचन मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा समारोह 27 अप्रैल से, निकलेगी कलश यात्रा

रांची रेलवे स्टेशन के समीप नवनिर्मित बगलाशिव संकटमोचन मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा समारोह 27 अप्रैल से शुरू होगा. इस मौके पर कलश यात्रा निकलेगी. महाप्रसाद के वितरण के बाद समारोह संपन्न होगा.

By Guru Swarup Mishra | April 25, 2024 10:22 PM

रांची: रांची रेलवे स्टेशन स्थित नवनिर्मित बगलाशिव संकटमोचन मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा समारोह 27 अप्रैल को कलश यात्रा के साथ शुरू होगा. एक मई को वीर हनुमान मां बगलामुखी और बाबा भोलेनाथ के शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा और शाम में महाप्रसाद के वितरण के बाद समारोह का समापन होगा. इस नवनिर्मित मंदिर के सफल संचालन के लिए 51 सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है. बता दें कि मालूम हो कि रांची रेलवे स्टेशन के समीप इस मंदिर की स्थापना 40 साल पहले रिक्शाचालकों, ऑटो चालकों, फुटपाथ दुकानदारों और रेल कर्मियों ने की थी. इस मंदिर का निर्माण पांच वर्षों में पूरा हुआ है. रांची रेलवे दुर्गा पूजा समिति के अध्यक्ष मुनचुन राय ने मंदिर निर्माण की नींव रखी और मंदिर के निर्माण कार्य का शुभारंभ कराया था. अब बगलाशिव संकटमोचन मंदिर बनकर तैयार है. इससे श्रद्धालुओं में काफी उत्साह है.

यह है कमेटी
नवनिर्मित मंदिर के सफल संचालन के लिए 51 सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है. इसमें मुख्य संरक्षक : मुकुंद नायक, संरक्षक मनपूरन नायक, विजय सिंह, विनय अग्रवाल, अशोक वर्मा, उपेंद्र यादव, विक्की सिंह, विजय साहू, कैलाश केशरी, छत्रधारी महतो, राधेश्यम केशरी, रवि सिंह, जनार्दन शाह, अविचल सिंह, विक्की सिंह, राजकुमार महतो, रवि गोप व सूरज मुंडा. अध्यक्ष : मुनचुन राय. कार्यकारी अध्यक्ष : मुन्ना कच्छप. महामंत्री : बादल थापा, दिनेश तांती व हीरा राय.

स्टेशन के सौंदर्यीकरण के लिए तोड़ा गया था मंदिर
मालूम हो कि राजधानी रांची के रांची रेलवे स्टेशन के समीप इस मंदिर की स्थापना 40 साल पहले रिक्शाचालकों, ऑटो चालकों, फुटपाथ दुकानदारों और रेल कर्मियों ने की थी. वर्ष 2018 में स्टेशन के सौंदर्यीकरण के दौरान मंदिर फुट ओवरब्रिज के सामने आ रहा था. इसके बाद इसे तोड़कर एक शेड में स्थानांतरित कर दिया गया था. कुछ माह के बाद रांची रेलवे दुर्गा पूजा समिति के अध्यक्ष मुनचुन राय ने मंदिर निर्माण की नींव रखी और भव्य मंदिर के निर्माण कार्य का शुभारंभ किया. मंदिर निर्माण पांच वर्षों में पूरा हुआ.

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