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Ranchi news : भू-अर्जन से संतुष्ट नहीं हैं रैयत, लगातार बढ़ रहे कोर्ट केस के मामले

रांची जिले में 155 से अधिक मामले न्यायालय में चल रहे हैं. इनमें वर्ष 2023 के करीब 40 से अधिक व वर्ष 2024 के 50 से अधिक मामले न्यायालय में हैं. ये मामले बढ़ते जा रहे हैं.

रांची. सड़क सहित अन्य परियोजनाओं के लिए हो रहे भू-अर्जन के अधिकतर मामलों में रैयत संतुष्ट नहीं हैं. इसका नतीजा है कि रैयत मुआवजा के लिए या तो अपील में जा रहे हैं या फिर न्यायालय की शरण ले रहे हैं. केवल रांची जिले में 155 से अधिक मामले न्यायालय में चल रहे हैं. इनमें वर्ष 2023 के करीब 40 से अधिक व वर्ष 2024 के 50 से अधिक मामले न्यायालय में हैं. ये मामले बढ़ते जा रहे हैं. कई अवमानना के भी मामले हैं. ज्यादातर मामले सड़क परियोजनाओं से संबंधित हैं. इस स्थिति के कारण अब भू-अर्जन करना मुश्किल हो रहा है. भू-अर्जन कर्मियों को रैयतों के विरोध का भी सामना करना पड़ रहा है.

मुआवजा नहीं देने व कम राशि देने की शिकायत

लगातार ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, जिसमें रैयतों द्वारा यह शिकायत की जा रही है कि उनकी जमीन ले ली गयी है, पर उसका मुआवजा उन्हें नहीं मिला है. वहीं, कई ऐसे मामले देखने को मिल रहे हैं, जिसमें रैयतों को कम राशि दी गयी है. रैयत लगातार यह शिकायत कर रहे हैं कि उनकी आवासीय या अन्य प्रकृति की जमीन को कृषि भूमि बता कर कई गुना कम मुआवजा दिया जा रहा है.

कर्मियों की लापरवाही से परेशान हैं रैयत

मुआवजा निर्धारण में जिला भू-अर्जन कार्यालय के कर्मियों द्वारा लापरवाही की जा रही है. जमीन की वर्तमान वास्तविक प्रकृति को नजरअंदाज करके वर्षों पुराने खतियान के आधार पर मुआवजा का निर्धारण किया जा रहा है. 30-40 साल पहले जो जमीन कृषि योग्य थी, आज वह आवासीय क्षेत्र की हो गयी है. पर रैयतों को कृषि जमीन का मुआवजा दिया जा रहा है. कर्मियों की इस लापरवाही पर कार्रवाई तक नहीं हो रही है.

डोरंडा-नामकुम रोड बना लिया, नहीं दिया पैसा

कुछ साल पहले डोरंडा से नामकुम तक की सड़क बनायी गयी. इसके लिए जमीन ले ली गयी, पर रैयतों को मुआवजा नहीं दिया गया. अंतत: मामला न्यायालय में गया. तब न्यायालय ने मुआवजा भुगतान का आदेश दिया. ऐसे ही कई उदाहरण हैं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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