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रांची : सदर अस्पताल शुरू, मिलेंगी सुपरस्पेशियलिटी सेवाएं, रिम्स का 20% भार होगा कम

रांची सदर अस्पताल का शुभारंभ आखिरकार मंगलवार को हो गया. मुख्यमंत्री ने 23 जनवरी को ही नये भवन का ऑनलाइन उद्घाटन कर दिया था. हालांकि, तब आइपीएचएस मानकों के हिसाब से उपकरणों और पैरामेडिकल स्टॉफ की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने से यह शुरू नहीं हो पाया था.

रांची. रांची सदर अस्पताल का शुभारंभ आखिरकार मंगलवार को हो गया. मुख्यमंत्री ने 23 जनवरी को ही नये भवन का ऑनलाइन उद्घाटन कर दिया था. हालांकि, तब आइपीएचएस मानकों के हिसाब से उपकरणों और पैरामेडिकल स्टॉफ की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने से यह शुरू नहीं हो पाया था. 520 बेड वाले इस हॉस्पिटल में गंभीर मरीजों को अब कई सुपरस्पेशियलिटी सेवाएं मिलेंगी. अस्पताल का पूरा भवन केंद्रीयकृत वातानुकूलित व्यवस्था से लैस है. यहां आधुनिक उपकरणों के साथ हर आधुनिक सुविधा मौजूद है. अस्पताल में हेल्प डेस्क, नर्सिंग कॉलिंग सिस्टम के साथ कर्मियों की भी विशेष तैनाती की गयी है. अस्पताल में 30 एडल्ट आइसीयू, 30 पीडियाट्रिक और 30 महीने के अंदर के नवजातों के लिए 20 एसएनसीयू की आधुनिक सुविधा है.

रिम्स के संबंधित विभाग का कम से कम 20% भार कम होगा

हॉस्पिटल में कई सुपरस्पेशियलिटी विभाग शुरू होने और राजधानी के सेंटर में होने के चलते रिम्स के संबंधित विभाग का कम से कम 20% भार कम होगा. सदर अस्पताल में अब कार्डियोलॉजी विंग सेटअप की तैयारी की जा रही है. कार्डियोलॉजिस्ट चिकित्सक के आने के बाद कैथलैब के लिए इक्यूपमेंट्स के टेंडर जारी किये जायें, जिसके बाद अस्पताल में कैथलैब शुरू किया जाएगा. इससे हार्ट की कई सर्जरी की जा सकेगी. सदर अस्पताल के मुख्य द्वार को भी आकर्षक बनाया गया है, ताकि सदर अस्पताल आने वाले मरीजों को सदर अस्पताल खोजने में किसी प्रकार की परेशानी नहीं हो. यह सीधे नये अस्पताल को कनेक्ट करेगा. सरकारी एंबुलेंस के लिए ओपीडी के सामने पार्किग होगी.

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13 डेडलाइन और हाईकोर्ट में 100 से ज्यादा सुनवाई के बाद मिला हैंडओवर

अस्पताल के निर्माण की आधारशिला स्वास्थ्य मंत्री भानू प्रताप शाही के कार्यकाल में 2006 में रखी गयी थी. उस वक्त 147 करोड़ की लागत से तीन वर्षों में इसका निर्माण होना था. समय के साथ कई गड़बड़ियां प्रकाश में आयीं. देरी से लागत बढ़ती चली गयी. जनहित को लेकर 2019 में अवमाननावाद (कोर्ट ऑफ कंटेंप्ट) दायर हुआ. सुनवाई के दौरान एक के बाद एक हर सुनवाई में दिये गये आदेश और फटकार की वजह से अस्पताल भवन को दबाव में हैंडओवर ले लिया गया. हैंडओवर तक इसकी लागत बढ़कर निर्धारित बजट से – 157 प्रतिशत – यानि दोगुना से भी अधिक 378 करोड़ हो गयी.

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