Ranchi news : बिहार व बंगाल की तर्ज पर होगा बालू घाटों का संचालन, अध्ययन के लिए कमेटी गठित

राज्य सरकार बालू घाट संचालन नियमावली में परिवर्तन करने जा रही है. सरकार चाहती है कि बालू से भी राजस्व में वृद्धि हो, इसलिए नियमावली में परिवर्तन की बात चल रही है.

By Prabhat Khabar News Desk | January 10, 2025 11:08 PM

सुनील चौधरी, रांची. राज्य सरकार बालू घाट संचालन नियमावली में परिवर्तन करने जा रही है. बिहार और बंगाल की तर्ज पर बालू घाटों के संचालन पर विचार हो रहा है. इसके लिए एक कमेटी गठित की गयी है, जो दोनों राज्यों का अध्ययन करेगी. कमेटी में अपर सचिव मनोज रंजन, उपनिदेशक खान संजीव कुमार, जेएसएमडीसी के जीएम फाइनेंस आलोक चौधरी, जेएसएमडीसी के बालू पदाधिकारी करुण चंदन व हजारीबाग के डीएमओ अजीत कुमार शामिल हैं. इन्हें दोनों राज्यों में बालू से राजस्व कैसे प्राप्त होता है, इसका अध्ययन करना है. ताकि, झारखंड में भी उसी तरह से काम किया जा सके.

जेएसएमडीसी द्वारा बालू घाटों का संचालन किया जाता है

गौरतलब है कि अभी झारखंड में जेएसएमडीसी द्वारा बालू घाटों का संचालन किया जाता है. 444 में केवल 22 घाट ही चालू हो सके हैं. इस कारण बालू से राजस्व न के बराबर है. सरकार चाहती है कि बालू से भी राजस्व में वृद्धि हो, इसलिए नियमावली में परिवर्तन की बात चल रही है. पूर्व की बालू नीति के तहत जेएसएमडीसी को 15 अगस्त 2025 तक बालू घाटों के संचालन की जिम्मेवारी मिली है. यानी बालू निकलवाने से लेकर बेचने तक का काम जेएसएमडीसी को ही करना है. जेएसएमडीसी को घाटों की पर्यावरण स्वीकृति, माइनिंग प्लान, सीटीइ/सीटीओ और अन्य सभी प्रकार की स्वीकृति लेनी है. जेएसएमडीसी ने कैटेगरी ए (0-10 हेक्टेयर), कैटेगरी बी (10-50 हेक्टेयर) व कैटेगरी सी (50 हेक्टेयर से अधिक) के घाटों के लिए माइंस डेवलपमेंट ऑपरेटर (एमडीओ) की नियुक्ति की है. इसमें कैटेगरी ए के 87, कैटेगरी बी के 37 तथा कैटेगरी सी के छह एमडीओ को नियुक्त किया गया है. सिया द्वारा अप्रैल 23 से जून 23 के बीच डिस्ट्रिक्ट सर्वे रिपोर्ट (डीएसआर) के आधार कुल 444 बालू घाटों की स्वीकृति दी गयी है. इसमें 282 घाट कैटेगरी ए के, 134 घाट कैटेगरी बी के व 28 घाट कैटेगरी सी के हैं. इन घाटों के लिए जेएसएमडीसी ने अप्रैल 23 से दिसंबर 23 के बीच एमडीओ के बीच फाइनेंशियल बिड निकाला.

15 अगस्त के बाद ही नयी पॉलिसी लागू होगी

बताया गया कि 15 अगस्त 2025 तक राज्य सरकार बालू की नयी पॉलिसी बना लेना चाहती है, ताकि वर्तमान पॉलिसी की अवधि जैसे ही समाप्त हो, नयी पॉलिसी लागू की जा सके. इसकी तैयारी विभागीय स्तर पर भी चल रही है.

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