रांची. रिम्स के वार्डों में आठ करोड़ रुपये खर्च कर वर्ष 2017-18 में फर्श पर टाइल्स लगायी गयी थी. लेकिन, ट्रॉली और व्हीलचेयर के गुजरते रहने से यह कुछ दिनों में ही टूटनी शुरू हो गयी थी. वर्तमान में अधिकांश वार्ड के फर्श पर लगी टाइल्स टूट गयी है. स्थिति यह हो गयी है कि मरीजों को लेकर जा रही ट्रॉली और व्हीलचेयर कब पलट जायें, इसका कोई ठिकाना नहीं है. इससे मरीजों में डर का माहौल बना रहता है. वहीं, टूट-फूट की मरम्मत के लिए पीडब्ल्यूडी को मेंटेनेंस के लिए कोई फंड नहीं दिया जाता है. जबकि, बिजली और पानी के लिए रिम्स पीएचइडी और बिजली विभाग को पैसा का भुगतान करता है. बिजली विभाग को 3.13 करोड़ और पीएचइडी को 3.38 करोड़ का सालाना भुगतान रिम्स करता है.
अव्यवस्था से मरीज परेशान
मरीज और उनके परिजनों का कहना है कि वह बेहतर इलाज की उम्मीद लेकर रिम्स आते है, लेकिन यहां अव्यवस्था भी झेलना पड़ती है. वार्ड के बेड तक पहुंचने के लिए टूटे फर्श से होकर गुजरना पड़ता है. चिंता इस बात की रहती है कि ट्रॉली गिरकर कहीं घायल न हो जायें. क्योंकि, ट्रॉली टूटे फर्श से होकर गुजरते वक्त हिलती है. सबसे खराब स्थिति सर्जरी वार्ड की है, जहां वार्ड के मुख्य द्वार से लेकर पूरे गलियारे का फर्श टूटा हुआ है. ज्ञात हो कि करीब छह माह पहले प्रभात खबर ने वार्ड के टूटे फर्श की स्थिति से संबंधित खबर प्रमुखता के साथ प्रकाशित की गयी थी.
मेडिसिन वार्ड और आइसीयू की स्थिति बदतर
मेडिसिन विभाग और मेडिसिन आइसीयू के वार्ड का फर्श भी कई जगह टूटा हुआ है. मेडिसिन आइसीयू में गंभीर मरीज भर्ती होते हैं, इसलिए यहां मरीजों को परेशानी होती है. इसके अलावा वार्ड के गलियारा का फर्श भी टूटा हुआ है.क्या कहना है प्रबंधन का
रिम्स की आधारभूत संरचना को दुरुस्त करने और मरम्मत का जिम्मा स्वास्थ्य विभाग की चयनित एजेंसी को दिया गया है. प्रस्ताव के हिसाब से एजेंसी को भ्रमण कर आकलन करना है. रिम्स की तरफ से अब जिम्मेदारी दे दी गयी है. हम सिर्फ आग्रह ही कर सकते हैं.डॉ राजीव रंजन, पीआरओ, रिम्सB
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