राजधानी में जाम का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. शहर की प्रमुख सड़कें जाम रहीं. कांटाटोली, रातू रोड, सुजाता चौक से ओवरव्रिज तक, डोरंडा, बहू बाजार, कर्बला चौक, लालपुर, कोकर आदि जगह जाम लगने से लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा रहा है.
ज्ञात हो कि राजधानी में तीन फ्लाइओवर का निर्माण हो रहा है. इनमें कांटाटोली फ्लाइओवर, सिरमटोली फ्लाइओवर व रातू रोड एलिवेटेड रोड शामिल हैं. इन सड़कों पर वाहनों का दबाव बढ़ने का असर शहर की अन्य सड़कों पर भी पड़ता है. इस कारण आये दिन लोगों को सड़क जाम का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि, कोकर से नामकुम, सुजाता चौक, डोरंडा आदि जाने वाले वाहन दूसरे रोड से नहीं जा सकते, इस कारण इन्हें घंटों जाम में फंसना पड़ता है.
इसी प्रकार डोरंडा की ओर आने-जाने वाले वाहन चालक भी जाम में फंसे रहते हैं. रातू रोड की स्थिति सबसे बदतर हो गयी है. इस रोड में जाम के कारण वाहन सरकते हैं. इस रोड में सबसे बड़ी परेशानी ऑटो से है. ऑटो एक लेन की जगह चार लेन में चलते हैं. इस कारण दोपहिया वाहनों को भी आगे निकलने में परेशानी होती है.
इसके अलावा स्कूल बस के कारण भी इस रोड में जाम लगता है. हालांकि, ट्रैफिक पुलिस हर जगह तैनात है, लेकिन ट्रैफिक पुलिस जाम हटाने से ज्यादा इस विकट परिस्थिति जाम क्लियर करने से ज्यादा चालान काटने में लगी रहती है.
रांची में 25 हजार ऑटो चलते हैं, इनमें से सिर्फ पांच हजार के पास ही परमिट है. बिना परमिटवाले ऑटो व ई-रिक्शा की भी ट्रैफिक व्यवस्था को ध्वस्त करने में बड़ी भूमिका है. वहीं, जहां ओवरब्रिज का निर्माण हो रहा है, वहां सड़क किनारे बनाये गये गड्ढे बन आये हैं, जिस वजह से भी लोगों को जाम का सामना करना पड़ता है. कई चौक-चौराहों पर सिग्नल व लाइटिंग सिस्टम सही नहीं है. जेब्रा क्रॉसिंग, स्टॉप लाइन, लेफ्ट लाइन मार्क भी नहीं दिखायी देते. पुलिसकर्मी यातायात व्यवस्था सुधारने की जगह चालान काटने में व्यस्त रहते हैं.
रांची में शहर की सड़कों का 60 से 70 फीसदी हिस्सा बाधित हो गया है. इसके साथ ही साथ सड़क किनारे लगनेवालीं फुटपाथ दुकानें, अवैध ऑटो पड़ाव व जर्जर डायवर्सन यातायात व्यवस्था को बेपटरी करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं.