झारखंड: गोवा की बुद्धिजीवियों की टीम पहुंची रांची यूनिवर्सिटी, भाषा व संस्कृति पर शोध के लिए जल्द होगा एमओयू
गोवा के बुद्धिजीवियों ने बताया कि झारखंड की संस्कृति और गोवा की संस्कृति में काफी समानता है. जिस तरह झारखंड में पड़हा संस्कृति है, ठीक उसी तरह गोवा में भी पड़हा संस्कृति है. झारखंड की मुंडा जनजातियों की भाषा और गोवा की कोंकणी भाषा के शब्दों में भी काफी समानताएं हैं.
रांची: डॉ राममनोहर लोहिया रिसर्च फाउंडेशन (दिल्ली) के अभिषेक रंजन सिंह की अगुवाई में गोवा विश्वविद्यालय के शिक्षकों, गोवा के सामाजिक कार्यकर्ताओं, वरिष्ठ पत्रकारों, कोंकणी लेखकों व साहित्यकारों की टीम ने सोमवार को रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा संकाय (टीआरएल) का भ्रमण किया. संकाय के नौ भाषाओं के शिक्षकों के साथ गोवा एवं झारखंड की भाषा व संस्कृति को लेकर विमर्श हुआ. इस दौरान झारखंड और गोवा की भाषा व संस्कृति पर शोध करने पर जोर दिया गया. गोवा और झारखंड की भाषा व संस्कृति को और करीब से जानने व समझने के लिए जल्द ही रांची विश्वविद्यालय और गोवा विश्वविद्यालय के बीच एमओयू किया जाएगा.
झारखंड और गोवा की भाषा व संस्कृति पर शोध करने पर जोर
गोवा के बुद्धिजीवियों ने बताया कि झारखंड की संस्कृति और गोवा की संस्कृति में काफी समानता है. जिस तरह झारखंड में पड़हा संस्कृति है, ठीक उसी तरह गोवा में भी पड़हा संस्कृति है. पेड़-पौधे, वातावरण काफी कुछ मिलता-जुलता है. उन्होंने बताया कि झारखंड की मुंडा जनजातियों की भाषा और गोवा की कोंकणी भाषा के शब्दों में भी काफी समानताएं हैं. उनका मानना है कि कोंकणी भाषा का निर्माण मुंडारी समुदाय के द्वारा ही किया गया होगा. गोवा से आए प्रतिनिधियों ने झारखंड और गोवा की भाषा व संस्कृति पर शोध कार्य करने पर जोर दिया.
रांची विश्वविद्यालय और गोवा विश्वविद्यालय के बीच एमओयू जल्द
जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा संकाय के को-ऑर्डिनेटर डॉ हरि उरांव ने कहा कि गोवा और झारखंड की भाषा व संस्कृति को और करीब से जानने व समझने के लिए सबकी सहमति से जल्द ही रांची विश्वविद्यालय और गोवा विश्वविद्यालय के बीच एमओयू किया जाएगा, ताकि दोनों राज्यों की भाषा व संस्कृति को करीब से जानने और समझने का मौका मिले.
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मौके पर ये थे मौजूद
इस मौके पर टीआरएल संकाय के प्राध्यापक डॉ किशोर सुरीन, डॉ बीरेन्द्र कुमार महतो, डॉ दमयन्ती सिंकू, डॉ बीरेन्द्र सोय, करम सिंह मुंडा, राजकुमार बास्के, बन्दे खलखो, प्रेम मुर्मू, गोवा विश्वविद्यालय के वरिष्ठ शोध पत्रकार संदेश प्रभुदेशाई, गोवा विश्वविद्यालय के डॉ प्रकाश प्रयंकर, फोरेंसिक डिपार्टमेंट गोवा मेडिकल कॉलेज गोवा के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ मधु, एडवोकेट जान फर्नांडीस, कोंकणी साहित्यकार चेतन आचार्य, कोंकणी लेखक एवं पत्रकार अनन्त अग्नि, वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता एवं शिक्षाविद प्रशांत नाईक के अलावा अन्य लोग शामिल थे.
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