रांची विश्वविद्यालय के अतिथि शिक्षकों ने एफओ, रजिस्ट्रार, डीएसडब्ल्यू व प्रॉक्टर का सात घंटे तक किया घेराव, बुलानी पड़ी पुलिस
रांची विश्वविद्यालय के विभिन्न कॉलेजों में कार्यरत अतिथि शिक्षकों ने मंगलवार को एफओ, रजिस्ट्रार, डीएसडब्ल्यू व प्रॉक्टर का सात घंटे तक घेराव किया और विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान विश्वविद्यालय प्रशासन को पुलिस बुलानी पड़ी.
रांची: रांची विश्वविद्यालय अंतर्गत विभिन्न महाविद्यालयों में कार्यरत अतिथि शिक्षकों ने विश्वविद्यालय मुख्यालय में आवश्यकता आधारित शिक्षक नामकरण करने तथा नौ माह से लंबित मानदेय भुगतान को लेकर वित्त पदाधिकारी (एफओ) सहित रजिस्ट्रार, डीएसडब्ल्यू, प्रॉक्टर को कार्यालय में ही बंद कर सात घंटे से भी अधिक समय तक घेरे रखा. सभी अतिथि शिक्षक दिन के 12 बजे ही विश्वविद्यालय मुख्यालय पहुंचे और कुलपति से भेंट नहीं होने पर सीधे वित्त पदाधिकारी कार्यालय में बैठे प्रभारी वित्त पदाधिकारी को विश्वविद्यालय के निर्णयानुसार आवश्यकता आधारित शिक्षक मानते हुए उन्हें भी प्रतिमाह 57700 रुपये का भुगतान करने की मांग करने लगे. कोई स्पष्ट जानकारी नहीं मिलने पर सभी शिक्षक वित्त पदाधिकारी के कार्यालय के बाहर धरना पर बैठ गये.
…और करने लगे प्रदर्शन
थोड़ी देर बाद वित्त पदाधिकारी के कार्यालय कक्ष में अतिथि शिक्षकों को समझाने पहुंचे प्रॉक्टर, रजिस्ट्रार व डीएसडब्ल्यू को भी अतिथि शिक्षकों ने अंदर ही बैठने को मजबूर कर दिया और बाहर प्रदर्शन करने लगे. कई बार तीखी नोंक-झोंक भी हुई. इस बीच विवि प्रशासन को एहतियात के तौर पर पुलिस भी बुलानी पड़ी. पुलिस ने भी अतिथि शिक्षकों को समझाने का प्रयास किया. अधिकारियों के साथ कई दौर की वार्ता भी हुई, लेकिन बात नहीं बनी. अतिथि शिक्षक आज ही मानदेय भुगतान करने की मांग को लेकर देर शाम तक धरना पर बैठे रहे.
नियमानुसार हुई है उनकी नियुक्ति
अतिथि शिक्षक संघ के अध्यक्ष अरविंद प्रसाद व उपाध्यक्ष ने कहा कि उनलोगों की नियुक्ति सरकार के आदेश के आलोक में नियमानुसार हुई है. विवि ने इन्हें आवश्यकता आधारित शिक्षक भी माना है, लेकिन मानदेय का भुगतान नहीं कर रही है. उपाध्यक्ष अमित कुमार ने बताया कि आंदोलन कर रहे एक शिक्षक के सर में चक्कर आ गया, जिससे अन्य सभी शिक्षक पानी डालकर उन्हें नॉर्मल किया, लेकिन विवि प्रशासन को कोई चिंता नहीं रही. अधिकारियों द्वारा देर शाम आश्वासन मिलने के बाद सभी शिक्षक वापस चले गये, लेकिन पूर्ण मानदेय भुगतान को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की बात कह गये.