Ranchi Violence Update : झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस के निर्देश पर रांची पुलिस ने मंगलवार को मेन रोड में 10 जून की हिंसा के दौरान पत्थरबाजी और तोड़फोड़ की घटना में शामिल उपद्रवियों का पोस्टर जारी किया. पुलिस ने राजधानी रांची के जाकिर हुसैन पार्क के पास चौक पर पोस्टर लगाया गया भी, लेकिन सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के ऐतराज के बाद पुलिस ने इन पोस्टरों को घंटे भर बाद उतार भी लिया.
झारखंड की रांची पुलिस द्वारा शहर के जाकिर हुसैन पार्क के नजदीक उपद्रवियों के पोस्टर लगाए जाने के बाद झामुमो के वरिष्ठ नेता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि इससे यूपी-झारखंड का फर्क मिट जायेगा. झामुमो की आपत्ति के बाद पोस्टर लगाते ही उतर गया. रांची पुलिस ने इस मामले में अपना पक्ष देते हुए कहा कि पोस्टर में कुछ संशोधन करना है, इसके बाद फिर से लगाया जायेगा.
राज्यपाल रमेश बैस ने 15 जून को डीजीपी नीरज सिन्हा सहित प्रशासनिक अधिकारियों को राजभवन तलब कर उपद्रवियों को गिरफ्तार करने का निर्देश दिया था. इसके लिए उन्होंने उपद्रवियों और गिरफ्तार लोगों की पहचान के लिए पोस्टर लगाने का निर्देश दिया था. इसके बाद पुलिस प्रशासन ने उपद्रवियों के पोस्टर शहर के अलग-अलग चौक-चौराहे पर लगाने का निर्णय लिया. इसकी शुरुआत जाकिर हुसैन पार्क के पास के चौराहे से की गयी थी. पोस्टर में निवेदक रांची पुलिस थी. इसमें कहा गया था कि इन उपद्रवियों के संबंध में किसी को कोई जानकारी हो, तो रांची पुलिस को सूचना दे. सूचना देनेवाले व्यक्ति का नाम और पता गुप्त रखा जायेगा. पोस्टर में सूचना देने के लिए सिटी डीएसपी, कोतवाली डीएसपी, हटिया डीएसपी, डेली मार्केट,कोतवाली, लोअर बाजार तथा डोरंडा थाना प्रभारी का मोबाइल नंबर भी पोस्टर में जारी किया गया था.
पोस्टर में हिंदपीढ़ी निवासी छोटू उर्फ भेदी छोटू, कुर्बान चौक निवासी कैप्टन, राइन मसजिद निवासी युवक, नदी ग्राउंड निवासी अरमान व बिच्छा तथा सन्नी व चरका के नाम दिये गये हैं. कुछ लोगों का केवल पोस्टर था और उसके साथ नाम नहीं थे. सीसीटीवी फुटेज व ड्रोन कैमरा में आयी तस्वीर तथा कॉल डंप के आधार पर उपद्रवियों की पहचान की कोशिश हो रही है. इसी क्रम में विशेष छापेमारी दल 42 स्थानों पर छापेमारी कर चुकी है. डोरंडा, लोअर बाजार, डेली मार्केट व हिंदपीढ़ी में तीन दर्जन से अधिक लोगों को नामजद तथा 11-12 हजार अज्ञात पर प्राथमिकी दर्ज की गयी है.
पार्टी के केंद्रीय कार्यसमिति सदस्य सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि पोस्टर लगाने से समाज पर क्या प्रभाव पड़ेगा, पहले इसका सामाजिक आकलन होना चाहिए. आप जख्म को जितना हरा कीजिएगा, उतनी गंदगी फैलेगी. कार्रवाई करनी है, तो पुलिस उपद्रवियों को चिह्नित कर कार्रवाई करे. सार्वजनिक तौर पर बदनाम करना सही नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने भी यूपी के मामले में कहा है कि किसी की प्राइवेसी को सार्वजनिक नहीं कर सकते हैं. रांची हिंसा की खबरें मीडिया में आयी हैं. इसका पोस्टर चौक चौराहों पर लगाकर क्या फायदा होगा. मामले में राज्यपाल की अपनी भावना है, मैं इस पर टिप्पणी नहीं करना चाहता. लेकिन पोस्टर लगाने पहले आकलन कर लेना चाहिए कि इससे कटुता बढ़ेगी या प्यार. साफ है कि यूपी और झारखंड का अंतर मिट जायेगा.