शॉर्ट्स पहनने पर रांची की जिस फुटबॉल खिलाड़ी सीमा का लोग उड़ाते थे मजाक, अब वह हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ेगी
Jharkhand News, रांची न्यूज (रोहित लाल महतो) : झारखंड के रांची जिले के ओरमांझी प्रखंड की बिटिया सीमा कुमारी हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ेगी. उसे फुल स्कॉलरशिप मिली है. अपनी प्रतिभा के बल पर उसने ये उपलब्धि हासिल की है. इसके माता-पिता किसान हैं. अब वह हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करेगी. कभी लोग फुटबॉल खेलने के लिए शॉर्ट्स पहनने पर उसका मजाक उड़ाते थे. उनसे कभी उनकी परवाह नहीं की और फुटबॉल खेलती रही.
Jharkhand News, रांची न्यूज (रोहित लाल महतो) : झारखंड के रांची जिले के ओरमांझी प्रखंड की बिटिया सीमा कुमारी हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ेगी. उसे फुल स्कॉलरशिप मिली है. अपनी प्रतिभा के बल पर उसने ये उपलब्धि हासिल की है. इसके माता-पिता किसान हैं. अब वह हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करेगी. कभी लोग फुटबॉल खेलने के लिए शॉर्ट्स पहनने पर उसका मजाक उड़ाते थे. उनसे कभी उनकी परवाह नहीं की और फुटबॉल खेलती रही.
सीमा रांची जिले के ओरमांझी की रहने वाली है. उनके माता-पिता निरक्षर हैं. वो खेती करते हैं और एक धागा कारखाने में काम भी करते हैं. सीमा साल 2012 में युवा की फुटबॉल टीम में शामिल हुई थी. फुटबॉल टीम में शामिल होने के बाद सीमा ने शिक्षा के अधिकार और बाल विवाह के खिलाफ जंग छेड़ी. शॉर्ट्स पहने को लेकर उनका मजाक भी उड़ाया गया, लेकिन इन बातों की परवाह किए बिना सीमा फुटबॉल खेलती रही.
वह विश्वविद्यालय में पढ़ाई करने वाली अपने परिवार की पहली महिला होगी. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की गिनती विश्व के प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों में होती है. इस बार ज्यादा संख्या में आवेदन होने के कारण यूनिवर्सिटी ने केवल केवल 3.4% को मौका दिया. इसके बावजूद सीमा स्कॉलरशिप हासिल करने में कामयाब रही. झारखंड के रांची की बेटी सीमा आज हर तरफ छाई हुई है. दुनियाभर में उसकी तारीफ हो रही है. सीमा ने विश्व प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों में से एक हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में स्कॉलरशिप हासिल की है. बॉलीवुड एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा और महानायक अमिताभ बच्चन की नातिन नव्या नवेली नंदा ने भी सीमा की सराहना की है.
आपको बता दें रांची के ओरमांझी में युवा नाम की स्वयंसेवी संस्था काम कर रही है. यह संस्था गरीब लड़कियों को फुटबॉल सिखाती है और इसके जरिए उनकी जिंदगी को बेहतर बनाने में जुटी है. संस्था के संस्थापक फ्रांज गैस्टलर 2007 में भारत आए थे और 2009 में उन्होंने युवा नाम की संस्था बनाई. 3 साल बाद रोज गैस्टलर थॉमसन भी इस संस्था से जुड़ गईं. वह स्कूल में वंचित तबके की लड़कियों को पढ़ाती हैं. इस संस्था से जुड़ी लड़कियां कई मौकों पर देश-विदेश में झारखंड का नाम रोशन कर चुकी हैं.
Posted By : Guru Swarup Mishra