रतन टाटा का प्रभात खबर के साथ रहा था खास लगाव, 25 वीं वर्षगांठ में दी थी शुभकामनाएं, जानें उनसे जुड़े कुछ अनसुने किस्से

रतन टाटा का न सिर्फ प्रभात खबर से बल्कि झारखंड से भी खास लगाव रहा था. उन्होंने राज्य के लिए बहुत काम किया था. साल 2018 में उन्होंने रांची में कैंसर अस्पताल की आधारशिला रखी.

By Sameer Oraon | October 10, 2024 11:49 AM

जमशेदपुर : रतन टाटा के प्रभात खबर के साथ भी खास लगाव रहा था. जब अखबार ने अपना 25 वर्षगांठ मनाया था तब उन्होंने शुभकामनाएं दी थी. उन्होंने कहा था कि प्रभात खबर अपने को पूर्वी क्षेत्र का अग्रणी हिंदी अखबार के रूप में स्थापित किया है और झारखंड के लोगों की आवाज को मजबूती से उठाता रहा है. हमलोग सभी जानते हैं कि लोगों को सूचना देने और उन्हें शिक्षित करने में मीडिया की क्या भूमिका होती है. मुझे पूरा विश्वास है कि प्रभात खबर राज्य और देश के भविष्य को बेहतर बनाने में बड़ी भूमिका अदा करता रहेगा.

रांची कैंसर अस्पताल की आधारशिला रखी

रतन टाटा का न सिर्फ प्रभात खबर से बल्कि झारखंड से भी खास लगाव रहा था. उन्होंने राज्य के लिए बहुत काम किया था. इसके अलावा उन्होंने साल 2018 में रांची में एक कैंसर अस्पताल की आधारशिला रखी थी. उस वक्त रघुवर दास राज्य के मुख्यमंत्री थे, जिसका निर्माण कार्य अब भी जारी है. जिसे पूर्वी भारत का सबसे बड़ा कैंसर अस्पताल माना जा रहा है.

पेंटिंग से था लगाव

रतन टाटा पेटिंग से खास लगाव था. एक बार की बात है, जमशेदरपुर के दो पेंटरों का काम उन्हें काफी पंसद आया था. उनकी पेंटिंग से वे इतने प्रभावित हुए कि वे उन्हें मुंबई बुलाकर लाये. उनकी पेंटिंग को और दोनों की खूब तारीफ की. इन दो पेंटर का नाम अर्जुन दास और असीम पोद्दार है.

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जमशेदपुर में है रतन टाटा के डिजाइन की गयी मकान

जमशेदपुर के बिष्टुपुर के सीएच एरिया में रतन टाटा के डिजाइन की गयी मकान है, जिसमें आज टाटा स्टील के पूर्व डिप्टी एमडी डॉ टी मुखर्जी रहते हैं. इसके अलावा उस मकान से सटे हुए एक और मकान में मानसरोवर कंपनी के प्रोपराइटर रहते हैं. रतन टाटा ने उस मकान की भी खुद डिजाइनिंग की थी. वे एक आर्किटेक्ट भी थे. जमशेदपुर प्रवास के दौरान टाटा स्टील के लिए खुद से डिजाइन की थी, जो सबलीज का मकान था. उक्त मकान अब उपरोक्त दोनों शख्स के पास है.

टाटा समूह के कामकाज सीखने लिए किये मजदूरों के साथ काम

रतन टाटा के बारे में बताया जाता है कि वे टाटा समूह के कामकाज सीखने के लिए बकायदा मजदूरों के साथ शॉप फ्लोर में काम किये. इसके बाद वे लगातार बुलंदियों को छूते गये.

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