आस्था : मौसीबाड़ी में सिंहासन की होगी पूजा व भोग लगाया जायेगा
रांची : भगवान जगन्नाथ का नेत्रदान अनुष्ठान सोमवार को मंदिर का कपाट बंद कर विधि-विधान से संपन्न हुआ. इससे पहले सुबह 9.00 बजे भगवान जगन्नाथ, बड़े भाई बलराम व बहन सुभद्रा को 15 दिनों के एकांतवास के बाद गर्भगृह से निकाला गया. रैफ के जवानों की निगरानी में नेत्रदान अनुष्ठान शुरू हुआ. ज्ञात हो कि कोरोना के कारण मंगलवार को रथयात्रा नहीं निकाली जायेगी.
एक-एक कर विग्रहों को गर्भगृह से निकाल कर बाहर पूजा मंडप में स्थापित किया गया. वहां मंदिर के मुख्य पुजारी ब्रजभूषण नाथ के साथ अन्य पुजारियों ने स्नान-ध्यान के बाद भगवान जगन्नाथ का दिव्य शृंगार किया. वस्त्र व फूलों के हार अर्पित किये गये. इसके बाद श्रीविष्णु सहस्त्रनाम अर्चना की गयी. इस मौके पर भगवान की 108 दीपों से महाआरती की गयी. आरती के बाद भगवान को मालपुआ का भोग लगाया गया. सुबह 11.00 बजे अनुष्ठान संपन्न हुआ.
पूजा के बाद गर्भगृह में गये विग्रह
पूजा के बाद विग्रहों को वापस गर्भगृह में स्थापित कर कपाट बंद कर दिया गया. मंदिर के प्रधान पुजारी ब्रजभूषण नाथ मिश्र ने बताया कि रथयात्रा को लेकर इस बार कोई विशेष तैयारी नहीं की गयी है. पारंपरिक रूप से रथ की पूजा की जायेगी. मंगलवार को रथ यात्रा नहीं निकाली जायेगी.
मौसीबाड़ी में भगवान जगन्नाथ के सिंहासन की पूजा की जायेगी और भाेग लगाया जायेगा. उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण के कारण आम श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के कपाट बंद रहेंगे. वहीं नेत्रदान अनुष्ठान में मंदिर के पुजारी के अलावा मंदिर समिति के लाल प्रवीर नाथ शाहदेव, लाल चितरंजन नाथ शाहदेव, लाल नवीन नाथ शाहदेव और शिवेश सिंह आदि मौजूद थे.