रांची : झारखंड में लोकसभा चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज हो गयी है. एनडीए व इंडिया गठबंधन की ओर से सभी सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा होने के बाद से घटक दलों के नाराज नेताओं के बगावती तेवर भी नजर आने लगे हैं. बागी नेता पाला बदल कर चुनाव लड़ने को ताल ठोक रहे हैं. बगावती तेवर अपनाने वालों में विधायक के साथ-साथ पूर्व सांसद व पूर्व विधायक भी शामिल हैं. इस तरह इंडिया गठबंधन में लोकसभा की छह सीटों पर घटक दल के बागी नेता चुनौती बनते दिख रहे हैं. झामुमो विधायक चमरा लिंडा ने तो लोहरदगा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन भी दाखिल कर दिया है. इससे पार्टी के सामने मुश्किलें बढ़ गयी है.
इंडिया गठबंधन में सीट शेयरिंग के तहत लोहरदगा सीट कांग्रेस के कोटे में गयी थी. यहां से कांग्रेस ने पूर्व विधायक सुखदेव भगत को प्रत्याशी बनाया है. राजमहल लोकसभा सीट पर बोरियो के झामुमो विधायक लोबिन हेंब्रम अपने ही दल के प्रत्याशी के खिलाफ निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है. इस सीट से झामुमो ने सांसद विजय हांसदा को प्रत्याशी बनाया है. हालांकि राजमहल सीट पर आखिरी फेज में मतदान होना है और इस सीट पर नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है. इधर झामुमो नेता दोनों बागी विधायकों को मनाने में जुटे हैं. इससे पहले जामा की झामुमो विधायक सीता सोरेन ने बगावती तेवर दिखाते हुए भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी.
भाजपा ने इन्हें दुमका सीट से प्रत्याशी बनाया है. वह दुमका में इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी नलिन सोरेन को चुनौती दे रही हैं. चतरा लोकसभा सीट पर भाजपा छोड़ कर राजद की सदस्यता ग्रहण करने वाले पूर्व विधायक गिरिनाथ सिंह भी चुनाव लड़ने का दावा कर रहे हैं. साथ ही क्षेत्र की जनता के बीच जाकर संवाद कर रहे हैं. चतरा से इंडिया गठबंधन में कांग्रेस ने पूर्व मंत्री केएन त्रिपाठी को प्रत्याशी बनाया है. वहीं कोडरमा सीट से इंडिया गठबंधन ने माले विधायक विनोद सिंह को प्रत्याशी बनाया है. यहां से पिछले दिनों झामुमो में शामिल होनेवाले पूर्व विधायक जय प्रकाश वर्मा भी चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है. श्री वर्मा ने तो एक मई को निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन दाखिल करने की भी बात कही है. पलामू सीट से राजद की सदस्यता छोड़ कर बसपा में शामिल हुए पूर्व सांसद कामेश्वर बैठा ने भी बसपा के प्रत्याशी के तौर पर नामांकन किया है.
रांची सीट पर कांग्रेस की ओर से पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय की बेटी यशस्विनी सहाय को प्रत्याशी बनाये जाने पर हाल ही कांग्रेस में शामिल होने वाले पूर्व सांसद रामटहल चौधरी ने बगावती तेवर अपना लिया है. उन्होंने नाराजगी जताते हुए खुल कर कहा है कि वह कांग्रेस में चुनाव लड़ने आये थे, पार्टी का झंडा ढोने नहीं. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि बागी नेताओं का अपने-अपने क्षेत्रों में जनाधार रहा है. यह पहले भी सांसद-विधायक रह चुके हैं. ऐसे में उनका बगावती तेवर चुनाव के परिणाम में असर डाल सकता है.
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