रांची (वरीय संवाददाता). बड़कागांव विधायक अंबा प्रसाद के प्रतिनिधि बितका बाउरी हत्याकांड में एटीएस के तत्कालीन डीएसपी और वर्तमान में गढ़वा एसडीपीओ नीरज कुमार द्वारा लापरवाही बरतने का मामला सामने आया है. केस की समीक्षा के बाद मामले की पुष्टि होने पर नीरज कुमार के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू करने की अनुशंसा करते हुए सीआइडी डीजी अनुराग गुप्ता द्वारा गृह सचिव को रिपोर्ट भेज दी गयी है. सीआइडी डीजी ने लिखा है कि पतरातू थाना क्षेत्र में बितका बाउरी की हत्या 25 फरवरी 2023 को हुई थी. मामले में मृतक बितका के भाई की शिकायत पर अज्ञात अपराधियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था. पुलिस मुख्यालय के आदेश पर इस केस का अनुसंधान एटीएस ने शुरू किया था. इस केस का सुपरविजन नीरज कुमार ने किया था. इस केस में मृतक बितका बाउरी की पत्नी ने हाइकोर्ट में एक याचिका दायर की थी. इसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि पुलिस ने उनके बयान पर केस दर्ज नहीं किया. साथ ही घटना में शामिल असली अपराधियों को केस में लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया गया था. इस मामले के बाद सीआइडी के आइजी सुदर्शन प्रसाद मंडल द्वारा केस की समीक्षा की गयी. समीक्षा के दौरान पाया गया कि सुपरविजन के दौरान कई तथ्यों की अनदेखी की गयी है. सुपरविजन में इस बात का उल्लेख है कि केस में गिरफ्तार अपराधियों का आपराधिक इतिहास है. लेकिन अपराधी किस गिरोह से ताल्लुक रखते हैं, इसका उल्लेख नहीं है. मृतक बितका की पत्नी ने जिनके खिलाफ हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया था, सुपरविजन रिपोर्ट में लिखा गया है कि उनके खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं मिला. जबकि सुपरविजन में इस बात का उल्लेख है कि हत्याकांड का केस 16 अपराधी सहित भोला पांडेय गिरोह के अज्ञात अपराधियों के खिलाफ सही प्रतीत होता है. इस तरह उक्त दोनों मंतव्य एक दूसरे के विरोधी हैं. इस केस में विकास तिवारी को रिमांड पर लिया गया था. क्योंकि सुपरविजन रिपोर्ट में लिखा गया कि विकास तिवारी ने अपने काम में अड़चन के कारण हत्या करने का आदेश दिया था. डीएसपी ने गिरफ्तार अपराधियों के स्वीकारोक्ति बयान के सत्यापन का निर्देश भी केस के अनुसंधानक को नहीं दिया. मृतक बितका बाउरी की पत्नी ने जिन लोगों का नाम बताया था, उनका बयान सुपरविजन के दौरान नहीं लिया गया. बितका बाउरी की पत्नी ने हत्या के षडयंत्र में शामिल होने का आरोप निशि पांडेय, गजानंद प्रसाद, निशांत सिंह, बबलू यादव, नेपाल यादव, विकास तिवारी और ललन साव के अलावा अन्य अज्ञात पर लगाया था. लेकिन डीएसपी ने अपने सुपरविजन रिपोर्ट में लिखा है कि उक्त लोगों के बारे में कोई साक्ष्य नहीं मिला. इस तरह उक्त तथ्यों से पुष्टि होती है कि डीएसपी नीरज कुमार ने सुपरविजन के दौरान अपने कर्तव्य में घोर लापरवाही बरती है.
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