श्रमिकों का हो रहा निबंधन, सबको मिलेगा रोजगार, श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने बतायी योजना
झारखंड में पांच लाख के करीब श्रमिक लौट चुके हैं, लगभग पांच लाख श्रमिक और लौटेंगे. यानी करीब 10 लाख प्रवासी झारखंड आयेंगे. इनमें से बड़ी संख्या में श्रमिक झारखंड में ही रहना चाहते हैं.
झारखंड में पांच लाख के करीब श्रमिक लौट चुके हैं, लगभग पांच लाख श्रमिक और लौटेंगे. यानी करीब 10 लाख प्रवासी झारखंड आयेंगे. इनमें से बड़ी संख्या में श्रमिक झारखंड में ही रहना चाहते हैं. इन श्रमिकों में कई हुनरमंद हैं. वे बेहतरीन कारीगर हैं और काम की तलाश कर रहे हैं. सरकार इस पर ठोस रणनीति बना रही है कि कैसे इन श्रमिकों को झारखंड में ही रोजगार मिले. उनके लिए हर स्तर पर काम की तलाश की जा रही है. ऐसे में श्रम विभाग की चुनौती बढ़ जाती है. श्रम विभाग रोजगार की तैयारी कर रहा है. इस मुद्दे पर श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता से प्रभात खबर के प्रमुख संवाददाता सुनील चौधरी ने बात की.
लौट रहे मजदूरों का बन रहा डाटा बैंक
श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने कहा कि जितने भी मजदूर लौट रहे हैं. सभी मजदूरों का निबंधन किया जा रहा है. उनका एक डाटा बैंक तैयार हो रहा है. कौन-किस काम में हुनरमंद है, किसे प्रशिक्षण की जरूरत है. जिन्हें प्रशिक्षण की जरूरत है, उन्हें प्रशिक्षण भी दिलाया जायेगा. मुख्यमंत्री ने इसका निर्देश दे दिया है. हर जिले में श्रम विभाग के पदाधिकारी यह काम कर रहे हैं. कौन पेंटर है, कौन राज मिस्त्री है. कौन इलेक्ट्रिशयन, फीटर आदि है. सबका डाटाबेस बन जायेगा, तो उसके अनुरूप काम देने में अासानी होगी.
निर्माण कार्य में सभी श्रमिकों को दें रोजगार
मंत्री ने बताया कि मुख्यमंत्री की ओर से सभी विभागों को निर्देश गया है कि जिन विभागों को काम है, वह झारखंड के श्रमिकों को दिया जाये. दुग्ध उत्पादन, पशुपालन, कृषि, सड़क निर्माण, आरइओ, खदान आदि में काम की काफी संभावना है. निर्माण कार्य में बड़ी संख्या में श्रमिकों को काम मिल सकता है. इस दिशा में काम करने के लिए विभागों को निर्देश दिया गया है.
मनरेगा में हो चुका है 80 हजार प्रवािसयों का निबंधन
श्रम मंत्री ने कहा कि मनरेगा के तहत काम देने के लिए अबतक 80 हजार प्रवासी श्रमिकों का निबंधन हो चुका है. उन्हें जॉब कार्ड दिया जा रहा है. मनरेगा के तहत राज्य में कहीं भी काम होगा, तो श्रमिकों का सहयोग लिया जायेगा. इससे श्रमिकों को एक निश्चित आय की गारंटी होगी. इसके अलावा कई श्रमिक खेती-बाड़ी करना चाहते हैं. उन्हें सरकार सहयोग करेगी. जो पशुपालन अपनाना चाहते हैं, उन्हें पशुपालन विभाग की योजनाओं का लाभ देकर पशु उपलब्ध कराया जायेगा. इस तरह हर क्षेत्र में रोजगार सृजन हो रहा है.
निजी कंपनियों से मांगा गया है वैकेंसी का ब्योरा
श्रम मंत्री ने कहा कि राज्य में जितनी भी निजी कंपनियां कार्यरत हैं, उनसे वैकेंसी का ब्योरा मांगा गया है. उन्हें किस तरह के कुशल श्रमिक की जरूरत है, यह जानकारी ली जा रही है. इसके बाद सरकार के पास तैयार डाटाबेस से श्रमिकों को प्लेसमेंट दिया जायेगा. इससे कंपनियों को भी मजदूर मिल जायेंगे और सरकार भी मजदूरों को रोजगार दिलाने में सफल होगी. अब एक-एक श्रमिक राज्य में निबंधित होंगे, तो सरकार के पास सारी जानकारी रहेगी. फिर किसी श्रमिक के साथ कोई धोखाधड़ी भी नहीं कर पायेगा.
उद्योेग व खदान से रोजगार सृजित होंगे
श्रम मंत्री ने बताया कि उद्योग विभाग से जानकारी मांगी जा रही है कि कितने एमओयू हुए हैं और कितने धरातल पर उतरे हैं. वहां कितने लोग काम कर रहे हैं. कौन-कौन से उद्योग लगनेवाले हैं और वहां कितने मजदूरों की जरूरत है. उद्योग विभाग भी श्रम विभाग के माध्यम से रोजगार उपलब्ध करायेगा. दूसरी ओर, झारखंड में 21 नये कोयला खदान चालू होनेवाले हैं. इन खदानों में भी बड़ी संख्या में श्रमिकों को जरूरत होगी. झारखंड के जितने भी खदान अभी चालू हैं, वहां रोजगार की स्थिति और वैकेंसी की जानकारी ली जा रही है. जो खदान बंद पड़ा है, उसके मामले का भी निपटारा कर सरकार उसे चालू कर रोजगार देने का काम करेगी.