रांची. झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय की अदालत ने चाईबासा मनरेगा घोटाला मामले में आरोपी तत्कालीन जिला अभियंता की ओर से दायर अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई की. इस दाैरान अदालत ने प्रार्थी व राज्य सरकार का पक्ष सुना. सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने प्रार्थी बशिष्ठ नारायण पांडेय को शर्त के साथ अग्रिम जमानत प्रदान किया. अदालत ने कहा कि चूंकि प्रार्थी का मामला दीनानाथ सिंह के मामले के समान प्रतीत होता है, जिन्हें इस अदालत द्वारा एबीए संख्या-3843/2018 में अग्रिम जमानत दी गयी है. प्रार्थी को चार सप्ताह की अवधि के भीतर निचली अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया गया. अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया. यह भी कहा कि प्रार्थी अपने आत्मसमर्पण से पहले ट्रायल कोर्ट के समक्ष चार लाख रुपये की राशि जमा करेगा, जो ट्रायल के अंतिम परिणाम के अधीन होगी. इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता कृष्ण मुरारी ने पक्ष रखा. उन्होंने अदालत को बताया कि मनरेगा और अन्य योजनाएं जिला परिषद चाईबासा द्वारा कार्यान्वित की गयी थी. प्रार्थी व अन्य आरोपी व्यक्ति पर योजना की माप के संबंध में अनियमितताएं करने व समझौते की शर्तों का उल्लंघन करने के साथ-साथ निर्धारित गुणवत्ता के अनुसार काम नहीं करने का आरोप लगा था. उन पर सरकारी राशि के गबन का आरोप है. इसको लेकर चाईबासा के सदर थाना में कांड संख्या-21/2018 के तहत प्राथमिकी दर्ज है. घटना वर्ष 2008-2009 की है. मामले के सह आरोपी को अग्रिम जमानत पहले ही मिल गयी है. वह राशि जमा करना चाहते हैं. इस आधार पर उन्होंने अग्रिम जमानत की सुविधा देने का आग्रह किया. उल्लेखनीय है कि तत्कालीन जिला अभियंता प्रार्थी बशिष्ठ नारायण पांडेय ने अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी.
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