रांची : झारखंड के साथ रेमडिसिवर की आपूर्ति करने के मामले में भेदभाव बरता जा रहा है. अब तक राज्य सरकार ने रेमडिसिवर बनानेवाली पांच कंपनियों से कुल 36,640 फाइल दवा की मांग की है, लेकिन झारखंड के लिए केवल 8,038 फाइल दवा ही उपलब्ध करायी गयी. दूसरी ओर, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों को दवा कंपनियों द्वारा दवाओं की 26-26 हजार फाइलें सुलभ करायी जा रही हैं. राज्य सरकार के पदाधिकारियों द्वारा दवा कंपनियों से संपर्क करने पर पल्ला झाड़ा जा रहा है.
दवा कंपनियां गुजरात के हेड ऑफिस से आपूर्ति कंट्रोल करने की बात कहकर छुट्टी पा रही हैं. दवा कंपनियों की मनमानी का आलम यह है कि झारखंड सरकार द्वारा दवाओं की 10,000 फाइलों के ऑर्डर का जवाब भी नहीं दिया जा रहा है.
कोरोना जैसी जानलेवा महामारी में रेमडिसिविर इंजेक्शन मरीजों के इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. कोरोना की वजह से फेफड़ों में इंफेक्शन होता है और फिर मरीज को निमोनिया हो जाता है. रेमडिसिविर इंजेक्शन फेफड़े के इंफेक्शन से लोगों को बचाता है. फेफड़े में इंफेक्शन के आधार पर रेमडिसिविर के इंजेक्शन दिये जाते हैं. ज्यादा गंभीर स्थिति में एक मरीज को छह इंजेक्शन तक लगाना पड़ता है. यही कारण है कि रेमडेसिविर की भारी डिमांड है.
रेमडिसिविर की भारी मांग और आपूर्ति के अंतर के कारण कालाबाजारी को बढ़ावा मिल रहा है. सूचना है कि झारखंड में दोगुनी अधिक कीमत में रेमडिसिवर की खरीद-बिक्री की जा रही है. ज्ञात हो कि भारत में सात कंपनियों द्वारा रेमडिसिविर का निर्माण किया जा रहा है. दवा की मांग को देखते हुए केंद्र सरकार ने इसका निर्यात प्रतिबंधित कर दिया है. इसके बाद भी राज्य में दवा की आपूर्ति मांग के अनुरूप नहीं की जा रही है.
राज्य सरकार ने पांच कंपनियों से कुल 36,640 फाइल दवा मांगी, पर मिली 8,038 फाइल
यूपी और एमपी जैसे राज्यों को 26-26 हजार फाइलें सुलभ करायी जा रहीं
दवाओं की 10,000 फाइलों के ऑर्डर का भी नहीं दिया जा रहा जवाब
कैडिला (पहली बार) 4000 1100
सिपला 15400 2500
हेटेरो 3000 1660
मायलान 5000 600
डॉ रेड्डी 4240 318
कैडिला (दूसरी बार) 2000 00
कैडिला (तीसरी बार) 3000 1500
कुल 36640 8038
(नोट : आंकड़ों का स्रोत : झारखंड सरकार का स्वास्थ्य विभाग)
Posted By : Sameer Oraon