आत्मिक ज्ञान में वृद्धि के लिए क्रूस कथा का स्मरण आवश्यक
गुडफ्राइडे के दिन हम यीशु मसीह के क्रूस बलिदान को याद करते हैं. हम क्रूस कथा का स्मरण करते हैं, ताकि आत्मिक ज्ञान में आगे बढ़ सकें.
रांची. गुडफ्राइडे के दिन हम यीशु मसीह के क्रूस बलिदान को याद करते हैं. हम क्रूस कथा का स्मरण करते हैं, ताकि आत्मिक ज्ञान में आगे बढ़ सकें. आज के ही दिन जगत उद्धार के लिए यीशु मसीह ने खुद को क्रूस पर बलिदान कर दिया था. यह घटना इसलिए हुई कि पूर्व के दिनों में जो भविष्यवाणी हुई थी, वह पूरी हो सके. हम मसीही हैं और इस घटना पर विश्वास करते हैं. उक्त बातें शुक्रवार को जीइएल चर्च के मॉडरेटर बिशप जोहन डांग ने कहीं. वह मेन रोड स्थित क्राइस्ट चर्च में गुडफ्राइडे पर विशेष आराधना में बोल रहे थे. मॉडरेटर ने कहा कि अपनी क्रूस मृत्यु से एक दिन पूर्व प्रभु भोज के दौरान ही यीशु इंगित करते हैं कि उनके शिष्यों में से ही कोई उन्हें पकड़वायेगा. लोग यीशु का उपहास उड़ाते हैं. महासभा में यीशु की निंदा करते हैं. पिलातुस ने यह देखते हुए भी कि यीशु में कोई दोष नहीं है, लोगों के कहने की वजह से यीशु को क्रूस पर चढ़ाने का आदेश देता है. यीशु को गोलगाथा की पहाड़ी में ले जाकर क्रूस पर चढ़ा दिया जाता है. यीशु, पिता परमेश्वर की योजना पूरी करने के लिए शारीरिक वेदना सहते हैं. क्रूस पर ही यीशु सात वाणियां बोलते हैं. इनमें पहली तीन वाणियां सुबह नौ बजे से लेकर दिन के बारह बजे के बीच बोली गयी थीं, जबकि शेष चार वाणियां 12 बजे से दिन के तीन बजे के बीच वे बोलते हैं. मॉडरेटर ने बताया कि पहली तीन वाणियां पूरे संसार के लिए संदेश है. पहली क्रूसवाणी महायाजक की प्रार्थना है. वे इसमें क्षमा की बात करते हैं. हमें भी अपने शत्रुओं और बैरियों को उसी तरह क्षमा करना है. यीशु ने हमें पूरे दिल और मन से प्रार्थना करने सिखाया है. हमारे जीवन में भी कई तरह की विपत्तियां, दुख और निराशा आदि के क्षण आते हैं. ऐसे में हम अक्सर प्रार्थना करना छोड़ देते हैं. लेकिन जैसे भी हालात हों, हमें प्रार्थना करना नहीं छोड़ना है. सच्चे मन से की गयी प्रार्थनाओं को परमेश्वर सुनता है. मॉडरेटर ने दूसरी और तीसरी क्रूस वाणी का भी मर्म समझाया. इसके बाद शेष चार क्रूस वाणियों पर बिशप सीमांत तिर्की ने प्रकाश डाला. इससे पूर्व रेव्ह एन गुड़िया ने आराधना का संचालन किया. इस मौके पर बड़ी संख्या में विश्वासी उपस्थित थे.